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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फोक्सरस्टके साथी-कैदियोंसे निर्दयतापूर्वक अलग किया गया तब सरकारको अवश्य मालूम रहा होगा कि प्रिटोरियामें मुझे ऐसी मुसीबतें सहनी पड़ेंगी, जो मुझको दी गई सजाके अनुसार अभीष्ट नहीं है। मैं यह नहीं कहता कि भारतीय कैदी यूरोपीय कैदियोंकी श्रेणीमें रखे जायें। तब उनकी अवस्था कदाचित् अबसे बहुत ज्यादा बुरी होगी। किन्तु मैं यह अवश्य कहता हूँ कि उनको पृथक् श्रेणी और पृथक् स्थानमें रखा जाना चाहिए। मुझसे कहा जा सकता है कि अपनी मर्जीसे कैदमें जानेके बाद मेरे लिए जेल-व्यवस्थाकी शिकायत करना उचित नहीं हो सकता। यह ताना ठीक नहीं है, क्योंकि मेरा निवेदन यह है कि मुझे ऐसे कष्ट दिये गये जिन्हें टाला जा सकता था। और कुछ भी हो, जिन लोगोंके नामपर सरकार शासन करती मानी जाती है, उनके लिए यह जानना अच्छा है कि भारतीय सत्याग्रहियोंके साथ कैसा बरताव किया जा रहा है।

दूसरे कैदी

अपनी रिहाईके बाद मुझे मालूम हुआ कि यदि मुझे कुछ कष्ट उठाना पड़ा, तो अन्य सत्याग्रहियोंमें से ज्यादातरकी अवस्था इससे बुरी नहीं तो अच्छी भी नहीं रही; क्योंकि जोहानिसबर्ग फोर्टमें जो भारतीय सत्याग्रही थे उनमें से ज्यादातर डीपक्लूफकी कैदी बस्तीमें, और फोक्सरस्टमें जो थे उनमें से ज्यादातर हाइडेलबर्ग [ की जेल ] में भेज दिये गये थे। इन दोनों स्थानोंमें प्रारम्भिक अवस्थाओंमें उनको ऐसे कष्ट सहने पड़े जो बिल्कुल वांछनीय नहीं थे। भारतीय कैदीको जो काम दिया जाता है, सम्भव है वह उसकी शिकायत तबतक न करे जबतक वह उसे सहन कर सके; मगर मेरा खयाल है कि उसे अनुचित, अनुपयुक्त या अपर्याप्त आहारके सम्बन्ध में शिकायत करनेका पूरा अधिकार है। उपनिवेशके एक अत्यन्त वीर और सच्चे भारतीयसे, जो ब्रिटिश भारतीय संघके कार्यवाहक अध्यक्षके पदपर आसीन रहा है और एक प्रसिद्ध व्यापारी है, मल-मूत्रके डोल उठवाये गये हैं - यह उपनिवेशके लिए कोई गौरवकी बात नहीं है ।

जो लोग पिछले कुछ महीनोंमें इन कठिनाइयोंसे गुजर चुके हैं, वे कितने ही परेशान किये जानेपर भी अपने उद्देश्यसे विचलित न होंगे। कुछ लोग फिर जेल गये हैं। उनमें एक उन्नीस सालका युवक पाँचवीं बार गया है। जनताको यह मालूम नहीं है कि वेरीनिगिंगमें श्री अस्वातकी, जो स्वयं डीपक्लूफमें कैद हैं, दूकानकी व्यवस्था करनेकी वजहसे करीब-करीब हर रोज एक आदमी गिरफ्तार होता है और तीन महीनेकी सख्त कैदकी सख्त सजा पाता है। ऐसे आठ भारतीयोंकी बलि दी जा चुकी है और स्वयंसेवक अभीतक इस दूकानका काम सम्भालनेके लिए आ रहे हैं। जब ऐसी हालत है तब सत्याग्रह मरा नहीं है। वह मर नहीं सकता, क्योंकि वह सत्यका प्रतीक है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-६-१९०९