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१५५. कुछ विचार

सत्याग्रहका अन्त जब होना होगा, तब होगा। लेकिन इस बीच भारतीय समाजको जो लाभ हुए हैं और उसने जो रस चखा है, उसके उदाहरण हम यहाँ बिना किसी दलीलके दे रहे हैं। इनपर हर भारतीयको मनन करना चाहिए।

(१) रोडेशियाका कानून खत्म हो गया।
(२) लॉर्ड क्रू उस कानूनको रद करनेका स्पष्ट कारण ट्रान्सवालमें जारी सत्याग्रह-संघर्षको बताते हैं।
(३) उसी लेखमें लॉर्ड क्रू यह भी कहते हैं कि साम्राज्य सरकारको ट्रान्सवाल विधेयक-पर मंजूरी देते हुए खुशी नहीं हुई।
(४) हालमें प्रकाशित नीली किताब (ब्ल्यू-बुक) में लॉर्ड क्रू ने भारतीयोंकी दोनों माँगें स्वीकार करनेकी सिफारिश की है।
(५) उत्तरमें ट्रान्सवाल सरकारने यह नहीं कहा कि माँगें स्वीकार नहीं की जायेंगी; लेकिन यह जरूर कहा है कि सत्याग्रह बहुत कुछ खत्म हो गया है तथा यदि लॉर्ड क्रू थोड़ा और रुकें तो शेष भारतीय भी घुटने टेक देंगे। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि यदि ज्यादा भारतीयोंने सत्याग्रह जारी रखा होता तो हमारी माँगें कब-की स्वीकृत हो गई होतीं।
(६) ऐसे अनेक गोरे, जो भारतीयोंको नहीं जानते थे, आज उन्हें जानने लगे हैं; इतना ही नहीं, वे हमारे हितमें काम भी करने लगे हैं।

इनमें से प्रत्येक उदाहरण से अनेक विचार उत्पन्न हो सकते हैं। हम आगे कभी अपने पाठकोंके सामने इनपर विशेष विचार प्रस्तुत करेंगे। किन्तु हम आशा करते हैं कि इस बीच बहुत-से भारतीय इनपर विचार करेंगे और इनसे नई शक्ति प्राप्त करेंगे। यह तो साफ जान पड़ता है कि जीत हमारे हाथमें है। फिर समझ में नहीं आता कि बहुत-से भारतीय क्यों कायर बन गये।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-६-१९०९