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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

करता हूँ कि जब श्री मनजी, श्री खीमचन्द और श्री प्रभु छूटे तब उनको लेनेके लिए गाड़ी नहीं गई। श्री मनजीका व्रत था और श्री खीमचन्दकी तबीयत खराब थी। इससे उनको तकलीफ हुई। इसके अतिरिक्त उनको जोहानिसबर्ग आनेका तार समयपर न मिलनेसे कोई उनको स्टेशनपर लेनेके लिए भी नहीं जा सका। ऐसी तकलीफोंसे किसी सत्याग्रहीको घबरानेकी जरूरत नहीं है। इन्हें भी सहन कर लेना चाहिए। भूलचूक तो होती ही रहती है।

अस्वातकी खूबी

श्री अस्वातने डीपक्लूफ जेलमें बहुत तकलीफ उठाई है। उनका वजन लगभग ३० पौंड घट गया है। मालूम होता है, उन्होंने सत्याग्रहका पूरा पालन किया है। वे जेलके खानेके सिवा दूसरा खाना छूते भी नहीं हैं। उनको बीड़ी पीनेका व्यसन बहुत था; किन्तु उन्होंने तीन महीनेमें एक दिन भी बीड़ी नहीं पी। वे अपनी दूकानकी परवाह न करके फिर जेल जानेके लिए तैयार हो रहे हैं। श्री अस्वातके सम्बन्धमें यह लिखते हुए मुझे ध्यान आता है कि श्री थम्बी नायडूने बीड़ी, चाय और कॉफी हमेशाके लिए छोड़ दी है; यद्यपि जेल जानेसे पहले वे इन तीनों चीजोंके बिना एक घड़ी भी नहीं रह सकते थे। इसके अलावा उन्होंने जबतक लड़ाई खत्म नहीं हो जाती तबतक मूंछें न रखनेका प्रण किया है। ऐसे वीर जबतक भारतीय समाजमें हैं तबतक यह लड़ाई चलती ही रहेगी और अन्तमें जीत हमारी होगी।

इससे शिक्षा

मुझे मालूम हुआ है कि कुछ सत्याग्रही कैदी जेलमें जाकर चोरी करना सीख गयेbहैं। पहले वे जो चीज़ खुले तौरपर न मिलती हो अथवा दूसरे लोगोंको नहीं दी जाती हो। अब खाने लगे हैं। जिनको कभी तम्बाकू खाने या पीनेका व्यसन न था वे अब तम्बाकू खाना और पीना सीख गये हैं। ऐसे कैदियोंको शर्मिन्दा होना चाहिए और श्री अस्वात तथा श्री नायडूसे सीख लेनी चाहिए। यह सीधा हिसाब है कि समाजका सत्याग्रह जितना बढ़ेगा अन्त उतनी ही जल्दी होगा और जितना घटेगा अन्त उतनी ही देरसे होगा।

हद-पार

जिन भारतीयोंको निर्वासित करके भारत भेजा जाता हैं उनके सम्बन्धमें उचित उपाय तुरन्त आरम्भ कर दिये गये हैं। इस सम्बन्धमें श्री आइज़क डेलागोआ-बे भेजे गये हैं। मुझे आशा है कि डेलागोआ-बेके भारतीय उनकी सहायता करेंगे। दूसरी ओर सरकारके साथ लिखा-पढ़ी जारी है। श्री नरोत्तम कालीदास, जिनको देश-निकालेका हुक्म दिया गया था, छोड़ दिये गये हैं और वे जोहानिसबर्ग में आनन्द कर रहे हैं। फिर भी अगर वे देशसे निकाल दिया जाये तो उसमें भी डरनेका कोई कारण नहीं है। अपने देशमें भेजे जायें तो हिम्मतवर लोग वहाँ भी आन्दोलन कर सकते हैं। सत्याग्रही होनेपर भी जिनको देश-निकाला हुआ है या होगा, उनकी सार-सँभालके सम्बन्धमें देशको तार दे दिया गया है। इसके अलावा श्री सोमाभाई पटेलने, जो हालमें ही जेलसे निकले हैं और अब कार्यवश देश गये हैं, इस सम्बन्धमें बम्बईमें पूरा प्रयत्न करनेका निश्चय किया है।