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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

प्रिटोरियाके भारतीय धोबी

प्रिटोरिया नगर परिषदको स्वास्थ्य-समितिकी सलाहसे नगरपालिकाने नीचेके प्रस्ताव पास किये हैं:

(१) सन् १९०७ के अगस्त में जो यह निश्चय किया गया था कि भारतीय धोबियोंको नगरपालिकाके धोबी घाटोंका उपयोग नहीं करने दिया जायेगा। और उन्हें अपने धोबीघाटोंमें पानी की निजी व्यवस्था करनी चाहिए, उसको रद कर दिया जाये।
(२) १९०८ के मई मासमें निश्चय किया गया था कि सब धोबियोंको नगरपालिकाके धोबीघाटोंमें कपड़े धोनेसे रोका जाये। वह रद किया जाये।
(३) अबसे सब रंगदार लोगोंको जातिभेदके बिना नगरपालिकाके धोबीघाटोंका उपयोग करने दिया जाये।
(४) धोबीघाटोंकी देख-रेख करनेवालोंको ताकीद की जाये कि वे निरर्थक पानी न बहने देनेका कड़ाईसे ध्यान रखें।

बीमारीके कारण मुक्ति

खबर मिली है कि श्री भायातकी दूकानके कर्मचारी श्री मुहम्मद ममुजी पटेलको, जो फोक्सरस्टकी जेलमें थे, सरकारने बीमारीके कारण जेलसे छोड़ दिया है।

मुहम्मद अहमद भाभा

स्टैंडर्टनवासी श्री मुहम्मद अहमद भाभा, जो हाउटपूर्टकी जेलमें थे, गत शनिवारको रिहा कर दिये गये। उनको लेनेके लिए श्री भायातकी गाड़ी गई थी, और श्री भायातके मकानपर उनकी आवभगत की गई। मैं आशा करता हूँ कि श्री भाभा फिर जेल जानेके लिए तैयार रहेंगे।

भायात

श्री भायात खुद यह अंक प्रकाशित होनेके दिन—१२ तारीखको रिहा किये जायेंगे। ऐसा अनुमान किया जाता है कि श्री भायातकी रिहाईके बाद हाइडेलबर्गके अन्य कई भारतीय जेल जानेको तैयार हो जायेंगे।

दर्जी, कुनबी आदि

कुछ दर्जी, कुनबी[१] आदि गिरफ्तार किये गये हैं। वे सब सत्याग्रही नहीं दिखाई देते। कुछने नये कानूनके मुताबिक [पंजीयनके लिये] अर्जी दी है। जान पड़ता है कि इनमें से बहुत-से तो देश निकालेके लायक हैं। यदि ऐसे भारतीय सत्याग्रहका अवलम्बन करें तो उनको भी और कौमको भी लाभ पहुँच सकता है। ऐसा करनेसे उनके देशसे निकाले जानेका अवसर भी नहीं आयेगा। जेल जाना चाहें तो बहुत-से भारतीय जा सकते हैं। श्री अस्वातकी दूकानसे तो रोज ही एक भारतीय अपना बलिदान देता है। इसलिए उस गद्दीको सम्भालकर बहुत-से भारतीय जेल जा सकते हैं। आजतक प्रायः तमिल वीर ही जेल गये हैं। दूसरे भारतीयोंके लिए यह शर्मकी बात है। इसलिए यदि दर्जी, कुनबी आदि जिन भारतीयोंपर

  1. गुजरातमें, जातिविशेष जिसमें ज्यादातर काश्तकार होते हैं।