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१६०. प्रस्ताव: सार्वजनिक सभामें[१]

[जोहानिसबर्ग
जून १६, १९०९]

[प्रस्ताव १:] इस प्रस्तावके द्वारा ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संवकी समिति द्वारा की गई सर्वश्री अ० मु० काछलिया, हाजी हबीब, वी॰ ए॰ चेट्टियार और मो॰ क॰ गांधीकी उस शिष्टमण्डल [के सदस्यों] के रूपमें नियुक्तिको पुष्ट करती है, जो इंग्लैंड जायेगा और अधिकारियों और ब्रिटिश जनताके सम्मुख एशियाइयोंके वर्तमान संघर्षके सम्बन्धमें सच्ची स्थिति तथा दक्षिण आफ्रिकाके भावी संघके सम्बन्धमें ब्रिटिश भारतीयोंका दृष्टिकोण पेश करेगा।

[प्रस्ताव २:] ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा इस प्रस्तावके द्वारा सर्वश्री एन॰ ए॰ कामा, एन॰ गोपाल नायडू, ई॰ एस॰ कुवाड़िया और एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको भारत जाने और अधिकारियों तथा भारतीय जनताके सम्मुख ट्रान्सवालके वर्तमान एशियाई संघर्षके सम्बन्धमें सच्ची स्थिति प्रस्तुत करनेके लिए शिष्टमण्डलका सदस्य निर्वाचित करती है।

[प्रस्ताव ३:] सरकार अच्छी तरह जानती थी कि सर्वश्री काछलिया, कुवाड़िया, कामा और चेट्टियार पूर्व प्रस्तावोंमें बताये गये शिष्टमण्डलके प्रतिनिधि चुने गये हैं या चुने जानेवाले हैं। यह सभा उनकी आकस्मिक और अवांछनीय गिरफ्तारीका सादर विरोध करती है और सरकारसे अनुरोध करती है लौट आनेपर वह उनको अदालत द्वारा दी गई सजाको भुगतनेकी शर्तपर उचित जमानत लेकर छोड़ दे, जिससे वे अपना काम पूरा कर आयें।

[अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-६-१९०९
 
  1. ये प्रस्ताव हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्ष इमाम अब्दुल कादिर बावजीरने पेश किये और श्री दिलदार खाँने इनका समर्थन किया। अनुमान है, प्रस्तावोंका मसविदा गांधीजीने तैयार किया। इनपर मत लिये गये और वे स्वीकृत हो गये। उनका विरोध छः व्यक्तियोंने किया। उनकी मुख्य आपत्ति यह थी कि शिष्टमण्डल समाजके उस बड़े भागका प्रतिनिधित्व नहीं करता जो सत्याग्रही नहीं है; और उसमें पोलकको, जो यूरोपीय हैं, शामिल नहीं किया जाना चाहिए।