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१६२. शिष्टमण्डल

ट्रान्सवालके भारतीयों द्वारा शिष्टमण्डल भेजनेका निर्णय एक बहुत महत्त्वपूर्ण कदम है। इसकी विशेषता यह है कि उक्त शिष्टमण्डल सत्याग्रहियोंका होगा। यह बात मामूली तौरपर कुछ अजीब-सी लगती है कि कानून तोड़नेवाले लोग न्याय पानेके लिए विलायत जायें। इसलिए इसको लेकर मतभेद हो तो बात समझमें आ सकती है।

इस शिष्टमण्डलका समर्थन सत्याग्रहके सिद्धान्तके अनुसार नहीं किया जा सकता। सत्याग्रहीको तो केवल कष्ट-सहन करना है। उसका अवलम्ब केवल खुदा है। उसकी विजय तो सत्याग्रहमें ही निहित है। किन्तु सभी सत्याग्रही एक-से उत्साहवाले अथवा समान विश्वास-वाले नहीं हैं। फिर अनेक भारतीय सत्याग्रह नहीं कर सके; तथापि वे सत्याग्रहियोंके साथ हैं। उनकी इच्छा है कि संघर्ष शीघ्र ही समाप्त हो जाये। जबतक श्री दाउद मुहम्मद, श्री रुस्तमजी आदि जेलमें पड़े हैं तबतक उन्हें चैन नहीं मिल सकता। जो सत्याग्रही जेलसे छूटकर आ गये हैं उनको भी कुछ करना जरूरी है। सरकार उन्हें फिर तुरन्त ही तो गिरफ्तार नहीं करती। इसलिए वे क्या करें? इन सब बातोंको देखते शिष्टमण्डल भेजनेका इरादा ठीक जान पड़ता है।

दोनों[१] देशोंमें शिष्टमण्डल भेजनेसे लाभकी ही सम्भावना है। इंग्लैंड और भारत दोनों ही देशोंमें लोग हमारे संघर्षको पूरी तरह नहीं समझते। इसलिए यदि दोनों देशोंके सामने संघर्षका वास्तविक स्वरूप रखा जा सके तो इसमें सन्देह नहीं कि वह भी बहुत है। इससे दोनों जगहोंसे अधिक सहायता मिलेगी और उस हद तक संघर्षका जल्दी समाप्त हो जाना सम्भव होगा।

इसके सिवा, यह संघर्ष एक आदर्शके रूपमें पेश किया जाता है; इसलिए भारतके लोगोंको इसकी पूरी जानकारी देना हमारा कर्तव्य है। इस दृष्टिसे भी शिष्टमण्डल भेजनेका विचार ठीक माना जायेग।

भारत जानेवाला शिष्टमण्डल विलायत जानेवाले शिष्टमण्डलके लिए बहुत सहायक होगा। उसके कारण लॉर्ड क्रू को भी सोचना पड़ेगा, और लॉर्ड मॉर्लेको अपने कर्तव्यका ध्यान आयेगा।

हमारा खयाल है, शिष्टमण्डलमें प्रतिनिधियोंका चुनाव बहुत ठीक हुआ है। श्री हाजी हबीबने सत्याग्रह करनेका वचन दिया, यह बड़ी बात है। उनके पीछे हटनेसे कुछ भारतीय ढीले पड़ गये थे। उन्होंने फिर जोर लगानेका निश्चय किया है; इससे अन्य भारतीयोंमें भी शक्ति आनेकी सम्भावना है। ऐसा हो अथवा न हो, लेकिन श्री हाजी हबीबने अनेक वर्षों तक समाजकी सेवा की है, इसलिए उनके पीछे हटनेका बहुत-से भारतीयोंको बड़ा दुःख था। अब श्री हाजी हबीब फिर पूरे जोरमें आ गये हैं, इससे कौमको सन्तोष हुआ है। हम ईश्वरसे प्रार्थना करते हैं कि श्री हाजी हबीबमें अन्ततक निभा ले जानेकी शक्ति आये, और यदि जेल जानेका मौका आये तो वे उमंगके साथ जेल जायें। श्री काछलिया शिष्टमण्डलमें हैं, इस

  1. इंग्लैंड और भारत।
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