पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/२९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विषयमें तो कुछ कहना ही नहीं है। यह समाजके लिए गौरवकी बात है कि दोनों शिष्टमण्डलोंमें तमिल सदस्य हैं। तमिल भाइयोंने इतना अच्छा काम किया है कि उनके बिना शिष्टमण्डल जा ही नहीं सकता।

श्री कामाकी कीमती सेवाओंसे समाज अनजान नहीं है। भारतमें उन्हें बहुत काम करना है। इसमें सन्देह नहीं कि वे बहुत अच्छा काम कर सकेंगे। समाजने श्री पोलकको भारत भेजनेका विचार किया, यह उसके लिए गौरवकी बात है। अभीतक समाज श्री पोलककी सेवाओंको काफी समझ नहीं सका। वे समय आनेपर समझमें आयेगी। श्री पोलकको भारत भेजनेसे वहाँके लोगोंकी आँखें कुछ हद तक खुलेंगी। फिर उन्हें भेजकर हम स्पष्ट रूपसे यह सिद्ध कर देते हैं कि गोरे और काले मिलकर काम कर सकते हैं; और भारत फिलहाल गोरोंकी सहायता प्राप्त करके काफी आगे बढ़ सकता है। उस सहायताका लाभ किस तरह उठायें, यह जानना जरूरी है।

इस प्रकार शिष्टमण्डलके विषयमें विवेचन करनेके बाद समाजको यह बताना भी हमारा फर्ज है कि वह शिष्टमण्डलपर बहुत अधिक निर्भर न करे। सच्ची आशा तो निर्मल सत्याग्रहमें ही रखनी है। शिष्टमण्डल जानेसे सत्याग्रह बन्द नहीं होता। उसे तो जारी ही रखना चाहिए। हम आशा करते हैं कि शिष्टमण्डलके वहाँ पहुँचनेतक बहुत-से भारतीय कैदखानेमें जा पहुँचेंगे। शिष्टमण्डलका काम कठिन है। वह खाली हाथ लौटे तो हमें यही मानकर सन्तोष करना पड़ेगा कि इतना प्रयत्न करना उचित था, इसलिए हमने वह कर लिया।

शिष्टमण्डलके वहाँ रहते समाज अपना कर्तव्य निभायेगा, तभी शिष्टमण्डलको पर्याप्त बल मिल सकेगा। दक्षिण आफ्रिकाके हर स्थानपर उसके समर्थनमें सभाएँ होनी चाहिए। उनमें पास किये गये प्रस्ताव बालाबाला लॉर्ड क्रू को भेजने चाहिए।

इस लेखके लिखे जा चुकनेके बाद सरकारने कुछ प्रमुख भारतीय नेताओंको गिरफ्तार कर लिया है। उनमें शिष्टमण्डलके सदस्य भी हैं। अतएव, सम्भावना यह है कि संघर्षको फिर यहीं पूरे उत्साहसे चलाना होगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-६-१९०९