पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


आगाखाँ लन्दनमें हैं। मैंने मिलनेका समय माँगा है। हम न्यायमूर्ति अमीर अलीसे मिल चुके हैं। हमारा काम जहाजमें ही शुरू हो गया था। मैंने श्री मेरीमैन और श्री सावरसे लम्बी बातचीत की थी। दोनोंने बहुत सहानुभूति दिखाई; उनमें से कोई भी स्थितिको ठीक-ठीक नहीं जानता था। दोनोंने आश्चर्य प्रकट किया कि हमारी माँगें, जिन्हें वे बहुत उचित समझते थे, मंजूर नहीं की गईं। इसलिए हम दक्षिण आफ्रिकी राजनयिकोंको इकट्ठा करने और यह देखनेकी दृष्टिसे दौड़-धूप कर रहे हैं कि वे जनरल स्मट्सको उचित दिशामें प्रभावित कर सकते हैं या नहीं। मेरे ऊपर फिलहाल कामका दुहरा दबाव है। आजतक रातके एक बजेसे पहले सो नहीं सका हूँ और आप जानते हैं कि मेरे लिए इसके क्या मानी हैं। टाँग सूजनेकी विरासत, जो मुझे प्रिटोरिया जेलसे मिली थी, अभीतक मेरे पास है, किन्तु यह तो यों ही कह दिया।

हम सर रिचर्ड सॉलोमनसे मिलनेवाले हैं। उन्होंने हमारे पत्रके जवाबमें आज मिलनेका समय दिया है। लॉर्ड ऍम्टहिलसे भी आज भेंट कर रहे हैं। आपको विस्तृत जानकारी देनेके उद्देश्यसे मैं यह पत्र पहलेसे ही लिखा रहा हूँ; किन्तु इसमें कल (गुरुवारको) शाम तक पूरा विवरण दे सकूँगा, ऐसी आशा है। न्यायमूर्ति अमीर अलीका सर रिचर्डसे व्यक्तिगत परिचय है, और उन्होंने भी उनसे मिलने और इस मामलेपर बातचीत करनेका वचन दिया है। उन्होंने एक विवरण[१] माँगा था। मैंने भेज दिया है। उसकी एक नकल आपको जो कागज भेजे जायेंगे उनमें रख दूँगा।

कुमारी विंटरबॉटमके मनमें भारतीय प्रश्न भरा हुआ है। उन्होंने उसका बहुत सही रूपमें अध्ययन किया है। वे अब भी 'इंडियन ओपिनियन' को बहुत नियमपूर्वक पढ़ती हैं और उसके सम्बन्धमें उनका खयाल पहलेकी तरह ही ऊँचा है। उन्होंने हमको फिर कभी नहीं लिखा।[२] मेरे खयालसे इसका कारण यह था कि ट्रान्सवालकी स्थितिसे वे बहुत रुष्ट हो गई थीं और उनको खुदपर भरोसा नहीं रहा था कि वे शान्त चित्तसे लिख सकेंगी। हाजी हबीब और मैं दोनों उनके साथ एक घंटा रहे। उनको अपने संघके कुछ अन्य सदस्योंको हमसे मिलाना था। उनमें एक महिला पत्रकार थी, जो बहुत प्रतिभाशाली दिखाई पड़ी। उसने एक डचसे विवाह किया है, जो खुद भी पत्रकार है। उसने मुझसे कहा, मैं जनरल बोथासे बहुत बार मिली हूँ और इस बार उनसे भारतीय प्रश्नपर चर्चा करनेका खास ध्यान रखूँगी। कुमारी विंटरबॉटमने जलवायु बदलनेके लिए कॉर्नवाल जानेका कार्यक्रम बनाया था। उन्हें इसकी बहुत आवश्यकता है। किन्तु फिलहाल उनकी इच्छा अपनी इस यात्राको करीब-करीब छोड़ देनेकी ही हो गई है। मैंने उनसे अनुरोध किया है कि अपने कार्यक्रमको रद न करें, और वचन दिया है कि यदि मैं लन्दनमें उनकी उपस्थिति आवश्यक समझँगा तो मैं उनको बुला लूँगा। परन्तु वे बहुत ही उच्च विचारोंकी महिला हैं और मैंने कल देखा कि वे कॉर्नवाल जायें या न जायें, पर इसको वे धार्मिक बुद्धिसे विचार करनेकी बात मानती हैं। आज उनके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण विचार यह है कि वे इस संघर्ष में सहायता कैसे दे सकती हैं। जब मैंने उनको बेचारे नागप्पनकी मृत्युकी खबर दी तो वे क्रोधसे लाल हो गईं। जबसे तार मिला है तबसे नागप्पनका चित्र सदा मेरी आँखोंके सामने रहता है और तबसे मेरा काम भी

  1. देखिए अगला शीर्षक ।
  2. उन्होंने १९०७ में गांधीजीको पत्र लिखा था; देखिए खण्ड ७, पृष्ठ २४९।