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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

करीब-करीब यंत्रवत् हो गया है। उस घटनाका मुझपर इतना अधिक प्रभाव पड़ा है कि मैं उसे भुला नहीं पाता। फिर भी हमारे रुखमें परिवर्तन न होना चाहिए और हमें लोगोंको यही सलाह फिर देनी चाहिए कि वे मृत्युका और यदि उससे भी भयंकर कुछ हो तो, उसका भी सामना करें। मैं आपको उस तारकी एक नकल भेज रहा हूँ, ताकि यदि आपको उसमें दी गई खबर न मिली हो तो इससे मिल जाये।

पारसी रुस्तमजी अभी जेलमें ही हैं, इसलिए बेचारे दाउद मुहम्मदको अपनी रिहाई बहुत अखरी होगी। फिर भी वे जोहानिसबर्ग लौट गये हैं और इस प्रकार घमासान युद्धके बीचमें हैं।

श्री अब्दुल कादिर यहाँ हैं। वे प्रायः होटल आते हैं; किन्तु हमारे साथ रहते नहीं हैं। जब शिष्टमण्डलके बाकी सदस्य डर्बनसे आ जायेंगे तब, मेरा खयाल है, सब इस होटलमें ही ठहरेंगे।

श्री हाजी हबीब बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। वे सदा मुझे तत्पर बनाये रखते हैं और किसी बातको बिल्कुल भुलने नहीं देते। हममें पूरी सहमति है। मैंने आपको उनकी आँखके सम्बन्धमें लिखा था।[१] उससे उन्हें सारी यात्रामें कष्ट रहा; किन्तु अब पहलेसे बहुत आराम है, यद्यपि अब भी कुछ सूजन बाकी है।

श्रीमती रिचका तीसरा ऑपरेशन हुआ है और वह इस बार एक बहुत बड़े विशेषज्ञ सर हेनरी मॉरिसने किया है। सर हेनरीने बहुत ही सज्जनताका परिचय दिया। मैं श्रीमती रिचसे रविवारको मिला था और सारे आसार ऐसे हैं कि वे कुछ दिनोंमें पूरी तरह अच्छी हो जायेंगी। डॉ॰ ओल्डफील्ड[२] [मेरी निगाहसे] बिल्कुल गिर गये हैं। शल्य-चिकित्सामें वे कुशल माने जाते थे; किन्तु अब वह मान्यता भी खत्म होगई। रिचका खयाल है कि उन्होंने सब मामला बिगाड़ दिया और इसे स्वीकार करने तककी हिम्मत नहीं दिखाई। मैं जिस व्यक्तिको इतना ऊँचा मानता था उसके सम्बन्धमें यह लिखते हुए मेरा दिल दुखता है; लेकिन हमें अनेक बार अपनी धारणाएँ बदलनी पड़ती हैं। मैं केवल रिचकी अनुमतिकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ, जिससे मैं उनको सीधा लिख सकूँ या उनसे बात कर सकूँ। किन्तु श्रीमती रिच पूर्ण स्वस्थ हो जाने तक कोई कदम उठानेके विरुद्ध हैं।

डॉ॰ अब्दुर्रहमान पूरी शक्तिसे काम कर रहे हैं। श्री श्राइनर विलक्षण पुरुष हैं। वे डॉक्टरको बहुत बड़ी सहायता दे रहे हैं और उन्होंने आशा बिल्कुल नहीं छोड़ी है। ऑलिव श्राइनर और उनकी बहन श्रीमती लेविस दोनों केप टाउनसे मेरे रवाना होते वक्त मुझसे मिलने आये थे। डॉ॰ अब्दुर्रहमानने मुझे बताया है कि श्री साँवरने उन्हें रोका था, किन्तु उन्होंने अपने सुन्दर और संस्कारी ढंगसे श्री सावरसे कह दिया कि वे मुझसे केवल हाथ मिलाना चाहती हैं। उन्होंने यह विधि एक विशाल समुदायके सम्मुख अत्यन्त सद्भावसे सम्पन्न की और दोनों बहनें कई मिनट हमारे पास रहीं। जरा कल्पना कीजिए 'ड्रीम्स' पुस्तककी लेखिकाका सत्याग्रहकी सराहना करना! मगर डॉ॰ अब्दुर्रहमानसे मुझे जो-कुछ मालूम हुआ है उसके अनुसार पूरा श्राइनर-परिवार ही बिल्कुल असाधारण दीखता है।

  1. यह उपलब्ध नहीं है।
  2. गांधीजीके एक पुराने मित्र और शाकाहारी संघके सदस्य डॉ॰ जोशिया ओल्डफील्ड; देखिए खण्ड ६, पृष्ठ २५।