पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३२२

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२८६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय शिष्टमण्डलके समर्थनके तार' इन स्थानोंसे मिले हैं: केप टाउन किम्बलें पीटर्सबर्ग रस्टेनबर्ग जमिस्टन लोरेन्सो माक्विस पोर्ट एलिजाबेथ स्टैंडर्टन ग्रहम्सटाउन लिखतनबर्ग पॉचेस्ट्रम गुरुवार सर रिचर्ड सॉलोमनसे श्री हाजी हबीबकी और मेरी बहुत लम्बी और सन्तोषजनक मुलाकात हुई। उन्होंने सारे कानूनी पहलूको समझा और लगता था, उनकी सहानुभूति बहुत है। वे बँधना नहीं चाहते थे; किन्तु उन्होंने वचन दिया है कि वे श्री स्मट्ससे मिलेंगे और जो-कुछ कर सकते हैं वह करेंगे । फिर लॉर्ड ऍम्टहिलसे लम्बी मुलाकात हुई। उनकी मुखाकृति- पर खरी ईमानदारी, शिष्टता और सच्ची नम्रता अंकित थी । वे भूतपूर्व वाइसराय हैं। उनका विचार ऐसा एक भी कदम उठानेका नहीं है जिससे हम सहमत न हों। उनका उद्देश्य समितिसे अपने सम्बन्धके द्वारा किसी भी तरह अपना विज्ञापन करना नहीं, वरन् जिस कार्यका समर्थन कर रहे हैं उसमें उपयोगी होना है। वे यह नहीं समझ पाये कि किस अधिकारसे श्री मेरीमैन और श्री साँवरको मिलनेके लिए बुलाया जा सकता हैं। वे भारतमें उच्चतम पदोंपर रहे हैं, और यहाँ भी सार्वजनिक कार्योंमें उनकी खासी अच्छी स्थिति है, यह सब उनको बिलकुल महत्त्वपूर्ण नहीं लगा। इस कार्यमें सहायता मिले, इसलिए वे लॉर्ड कर्जनसे मिलेंगे और उन्होंने मामलेको दक्षिण आफ्रिकामें जहाँ छोड़ा था वहाँसे आगे बढ़वायेंगे। इस प्रकार आप देखेंगे कि हमारा काम फिलहाल परदेके पीछे ही होगा। सर विलियम ली-वार्नर हमसे मिलनेके लिए कल होटल आ रहे हैं। श्री अमीर अलीने सर रिचर्ड सॉलोमनसे मिलनेका जिम्मा लिया है। मैंने कल 'इंडिया' के श्री कॉटनसे लम्बी बातचीत की और उन्होंने आगामी अंकमें, भारतमें आप जो करनेवाले हैं, उसकी चर्चा करनेका निश्चित वचन दिया है। मैंने सोचा कि ऐसा करना जरूरी है, ताकि 'इंडिया' के स्थितिको समझ सकें । मेरा खयाल है कि आपने डॉ० मेहताका पत्र देखा था, जिसमें उन्होंने निकट भविष्य में यूरोपको रवाना होने और अपने पुत्रको शिक्षाके लिए ले जानेका उल्लेख किया था। वे अब यहाँ आ गये हैं और इसी होटलमें ठहरे हुए हैं । मैं आपको श्री वाडियाके नाम पत्र देना शायद भूल गया । आपको याद होगा कि वे इस प्रश्नके सम्बन्धमें बम्बईमें एक समिति बनानेवाले थे। उनसे अवसर मिलते ही जल्दीसे-जल्दी मिलना न भूलिए । १. ये दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके नाम थे, जिसके द्वारा इनकी नकले १६ जुलाईको उपनिवेश- मन्त्रीको भेजी गई थीं । २. देखिए " पत्रः लॉर्ड कर्जनको ", पृष्ठ १७१-७४ । ३. दोनों शिष्टमण्डलोंके सम्बन्धमें इंडियाके १६-७-१९०९ के अंक में टिप्पणियाँ प्रकाशित हुई थीं । ४. गांधीजीके लन्दनके विद्यार्थी जीवनके मित्र, डॉ० प्राणजीवन मेहता । Gandhi Heritage Portal