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ट्रान्सवालवासी भारतीयोंके मामलेका विवरण


यदि छगनलाल वहाँ हो तो कृपया उसको पत्र दिखा दें, क्योंकि मुझे उसको विस्तृत पत्र लिखनेका अवकाश नहीं है।

मैंने कई गुजरातियोंको पत्र लिखे हैं, जिनमें श्री उमर हाजी आमद, श्री ईसा हाजी सुमार, श्री पीरन मुहम्मद और श्री एम॰ एस॰ कुवाड़िया भी हैं।[१]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९४२) से।

१७९. ट्रान्सवालवासी भारतीयोंके मामलेका विवरण[२]

भारतीय शिष्टमण्डल द्वारा पेश (जुलाई, १९०९)

लन्दन
जुलाई १६, १९०९

प्रतिनिधियोंकी नियुक्ति

१. ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी एक सभा[३] पिछली १६ जूनको जोहानिसबर्गमें हमीदिया मसजिदके अहाते में हुई थी। सभा ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा बुलाई गई थी और उसमें लगभग १,५०० भारतीय आये थे। पादरी कैनन बेरी, पादरी पेरी, श्री कैलेनबैक, वॉगल-दम्पति, श्री डैलो और अन्य यूरोपीय मित्र उपस्थित थे। वे विशेष निमंत्रणसे आये थे। ट्रान्सवालके अधिकांश भागोंसे भारतीय समितियोंने सभामें पेश किये जानेवाले प्रस्तावोंके समर्थनमें तार भेजे थे।

२. इस सार्वजनिक सभासे[४] दो दिन पहले ३०० से ज्यादा ब्रिटिश भारतीयोंकी एक सभा संघके अध्यक्षके मकानपर हुई थी। उसमें [इंग्लैंड जानेवाले] भारतीय शिष्टमण्डलके लिए प्रतिनिधियोंकी अन्तिम नामजदगी की गई। उसी समय भारत जानेवाले दूसरे शिष्टमण्डलके प्रतिनिधियोंके नामोंपर सभामें चर्चा हुई।[५]

  1. ये पत्र उपलब्ध नहीं हैं।
  2. यद्यपि इस विवरणका मूल मसविदा, जिसकी एक अप्रामाणिक प्रतिके कुछ अंश मात्र उपलब्ध हैं, जहाजपर ही तैयार कर लिया गया था (देखिए शिष्टमण्डलकी यात्रा [२]...); किन्तु गांधीजीने लन्दन पहुँचने पर इसे प्रकाशनार्थ नहीं दिया, क्योंकि वे इसे तबतक प्रकाशित करवाना नहीं चाहते जबतक यह न मालूम हो जाये कि बातचीत असफल हो गई है। मसविदेमें मुख्यत: लॉर्ड ऍम्टहिलके कहनेपर कई संशोधन और परिवर्तन किए गए थे। उन्होंने लॉर्ड ऍस्टहिलके ३ अगस्तके पत्र में दिये गये सुझावोंको ध्यान में रखकर उसमें फेरफार किये, और उसको बढ़ाया; देखिए परिशिष्ट १४। बाद में उन्होंने इस विवरणका एक संक्षिप्त रूप भी तैयार किया था। विवरणका एक पहलेका अपूर्ण मसविदा भी उपलब्ध है। दोनों विवरण और संक्षिप्त रूप पीछे एक पुस्तिकाकी शक्लमें छापे गये थे, जिसका नाम था: ट्रान्सवालवासी ब्रिटिश भारतीयोंके मामलेका एक संक्षिप्त विवरण (ए कन्साइज स्टेटमेन्ट ऑफ द ब्रिटिश इंडियन केस इन द ट्रान्सवाल), और शिष्टमण्डलकी दक्षिण आफ्रिकाको रवानगीसे करीब एक सप्ताह ५ नवम्बरको इससे अखबारोंके नाम लिखे पत्रके साथ प्रकाशनाथ दिया गया था।
  3. देखिए "भाषण: सार्वजनिक सभामें", पृष्ठ २५२-५३।
  4. यह सभा सार्वजनिक समासे तीन दिन पूर्व १३ तारीखको हुई थी।
  5. देखिए परिशिष्ट १३।