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पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिल्को

मसविदे (साउथ आफ्रिकन ड्राफ्ट ऐक्ट) के सम्बन्धमें बुलाया गया सम्मेलन आज शुरू हो रहा है, इसलिए हम लॉर्ड महोदयका ध्यान इस तथ्यकी ओर खींचना वांछनीय समझते हैं कि ट्रान्सवालके भारतीयोंके प्रश्नसे उस उपनिवेशमें बसे ब्रिटिश भारतीयोंको अकथनीय कष्ट हुआ है और ब्रिटिश भारतीय नेताओंको उसके कारण अब भी गहरी चिन्ता है।

फिलहाल हम इस प्रश्नपर सार्वजनिक विवादसे बचना चाहते हैं, ताकि गैर-सरकारी रूपसे समझौता करनेमें आसानी हो। इसलिए यदि लॉर्ड महोदय हम लोगोंको इस गरजसे कि हम उनके सामने अबतककी पूरी स्थिति रख सकें, व्यक्तिगत मुलाकातके लिए समय देनेका अनुग्रह करेंगे, तो हम अत्यन्त आभारी होंगे।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: २९१/१४२; तथा टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९५१) से।

१८२. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
जुलाई २१, १९०९

लॉर्ड महोदय,

मैं आपके इसी २० तारीखके पत्रके लिए आपका बहुत ही आभारी हूँ। मुझे बहुत दुःख है कि मेरे पत्रपर[१] ठीक पता न था। बात यह है कि मेरे पास पतोंकी एक विशेष सूची है, जो शिष्टमण्डलके पिछली बार यहाँ आनेके समय तैयार की गई थी। कुमारी पोलकने, जिनके लिए यह काम अभीतक नया है, सूची-पुस्तिकाको देखा और आपके नामके सामने जो तीन पते दिये थे, उनमें से पहला पता लिख लिया। वह एक निर्देशिकामें से लिया गया था। बेडफोर्डका पता सूचीमें तीसरे स्थानपर था; मगर चूँकि काम कुछ व्यस्तताकी अवस्था में किया गया है, इसलिए उन्होंने जल्दबाजीमें पहला पता दे दिया और इसी वजहसे यह गलती हो गई।

मैं आपसे सहमत हूँ कि श्री मेरीमैनका पत्र[२] उत्साह भंग करनेवाला है। साथ ही, मैं समझता हूँ कि यदि आप किसी प्रकार दक्षिण आफ्रिकी राजनीतिज्ञोंके व्यक्तिगत सम्पर्क आ सकें तो यह बात दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (साउथ आफ्रिका ब्रिटिश इंडियन कमिटी) के अध्यक्षके रूपमें आप साम्राज्यके हितका जो कार्य कर रहे हैं उसके सम्बन्ध में आगे कार्रवाई करनेकी दृष्टिसे लाभप्रद होगी।

  1. गांधीजीने १४ जुलाईको लॉर्ड ऍम्टहिलसे भेंट की थी। जान पड़ता है, यह पत्र उसके बाद लिखा गया था, जो उपलब्ध नहीं है।
  2. देखिए "पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको", पृष्ठ ३०५-०६।