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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इसमें कोई सन्देह नहीं कि संघके अधीन ब्रिटिश भारतीयोंको समस्त दक्षिण आफ्रिकामें भारी संकटका सामना करना पड़ेगा।

मैंने माननीय सॉवरको भी पत्र लिखा था[१]; उन्होंने उसका कोई उत्तर नहीं दिया है। इससे मैं खयाल करता हूँ कि उनका रुख अब भी वही है जो जहाजमें था।

आपने सर डब्ल्यू॰ ली-वार्नरसे मिलना स्वीकार किया है, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। आपके मूल्यवान समयपर कितना भार है, इसको मैं भली भाँति समझ सकता हूँ। इसलिए जो लोग आपको जानते हैं कि उन सबके लिए और मेरे साथी तथा मेरे लिए यह कृतज्ञतामय सन्तोषकी बात है कि आप अपने अनेक कर्तव्योंका पालन करते हुए भी ट्रान्सवाल और दक्षिण आफ्रिकाके अन्य भागोंके ब्रिटिश भारतीयोंके प्रश्नपर इतना ध्यान देनेका समय निकाल लेते हैं।

मैंने अर्ल ऑफ क्रू के निजी सचिवको एक पत्र[२] लिख दिया है, जिसमें उनसे व्यक्तिगत भेंटके लिए समय माँगा है। ऐसा ही एक निवेदनपत्र लॉर्ड मॉर्लेके निजी सचिवको भी भेजा है।[३]

लॉर्ड महोदयका आज्ञाकारी सेवक,

लॉर्ड ऍम्टहिल, जी॰सी॰एस॰आई॰, जी॰सी॰आई॰ई॰


कर्ज़न होटल


कर्ज़न स्ट्रीट, डब्ल्यू॰

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९५३) से।

१८३. पत्र: 'साउथ आफ्रिका' को

[लन्दन]
जुलाई २२, १९०९

महोदय,
ताजे अंकके अपने सम्पादकीयमें आप कहते हैं:
श्री गांधी, जिनकी शोहरत पूरे नेटाल और ट्रान्सवालमें है, स्वीकार करते हैं कि उनका और उनके साथियोंका आन्दोलन इंग्लैंडमें [उसके प्रति] सहानुभूति रखनेवालोंकी मर्जीसे चलाया जायेगा। प्रसंगवश कहना पड़ता है कि इन सहानुभूति रखनेवालोंके नाम दुर्भाग्यसे भारतके उस भयंकर आन्दोलनसे सम्बद्ध हैं जो पिछले कुछ दिनोंमें भयावह रूपसे सामने आया है।

मैं उत्तरमें निवेदन करना चाहता हूँ कि मैंने रायटरके प्रतिनिधिसे जो कहा था[४] सो तो यह है कि हमारा आन्दोलन लॉर्ड ऍम्टहिल और उनकी समितिकी सलाह के अनुसार चलेगा।

  1. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।
  2. देखिए "पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको", पृष्ठ ३०२-०३।
  3. यह उपलब्ध नहीं है।
  4. देखिए "भेंट: रायटरके प्रतिनिधिको", पृष्ठ २७९।