पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३४६

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[ पुनश्च : ] १८६. पत्र : श्रीमती वाँगलको प्रिय श्रीमती वॉगल. कुमारी श्लेसिनने मुझे बताया कि आप भारतीय महिलाओंकी एक सभामें शामिल हुई थीं। इस समाचारसे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। मैं जानता हूँ कि आप अपने उत्साहसे उन्हें प्रेरित कर सकती हैं, और मैं यह भी जानता हूँ कि वे अपनी यूरोपीय बहनोंकी सहानुभूतिकी कितनी कद्र करती हैं। कुमारी श्लेसिन आपको यहाँके कामके बारेमें सारी जानकारी दे देंगी। इसलिए मैं आपके कामके लिए आपको धन्यवाद देकर और आप तथा श्री वॉगल, दोनोंके प्रति अपना सम्मान प्रकट करके ही यह पत्र समाप्त करता हूँ । जब कभी आपको 'इंडियन ओपिनियन' की और अधिक प्रतियोंकी जरूरत हो, आप कार्यालयमें जाकर माँग लें । Yelts श्रीमती पोलक आज आ रही हैं। लन्दन, एस० डब्ल्यू० जुलाई २३, १९०९ गांधीजीके हस्ताक्षरसे युक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० ४४०८) से । सौजन्य : अरुण गांधी । १८७. लन्दन हृदयसे आपका, मो० क० गांधी [जुलाई २३, १९०९] डॉ० अब्दुल मजीद कानूनके डॉक्टर सैयद अब्दुल मजीद जल्दी ही भारतको रवाना हो रहे हैं। उनके सम्मानमें एक जलसा किया गया था। उसमें श्री हाजी हबीब और मैं निमन्त्रण पाकर गये थे। वहाँ प्रसंगवश ट्रान्सवालके भारतीयोंके सवालपर बातचीत चली थी। डॉ० सैयद अब्दुल मजीदने वादा किया कि वे भारतमें इस सम्बन्धमें प्रयत्न करेंगे। जलसेमें कुछ यूरोपीय भी थे। श्री रिच भी मौजूद थे। १. श्रीमती बॉगल जोहानिसबर्ग में भारतीय महिलाओंकी कक्षाएँ चलातीं और “भारतीय बाजार" आयोजित करती थीं। वे और उनके पति, जो बजाजीका काम करते थे, भारतीयोंके मामले में गहरी दिलचस्पी लेते थे। २. एलएल० डी० । Gandhi Heritage Portal