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लन्दन


ऑटोमनका[१] समारोह

तुर्कीकी संसदके कुछ सदस्य अंग्रेजोंके बड़े नेताओंसे भेंट करनेके लिए यहाँ आये हैं। उनके सम्मानमें होटल सेसिलमें एक भोज दिया गया था। सदस्योंमें माननीय तल्लात बे प्रमुख थे। दूसरे सदस्य थे—मुस्तफा अरीफ बे, जेवाद बे, डॉ॰ रिजा तौफीक बे, मेहमेन अली बे, जुबेरजादे, अहमद पाशा, मीघात बे, सुलेमान खुसतानी, नसीम मजलियाँ अफेदी, सासून अफेंदी और फजल अरीफ अफेंदी आदि।

इस समारोहमें लगभग तीन सौ लोग होंगे। इसकी अध्यक्षता अर्ल ऑफ ऑस्लोने की। इसमें लॉर्ड कर्ज़न भी मौजूद थे। कोई पचास भारतीय होंगे। इनमें न्यायमूर्ति श्री अमीरअली, नवाब इम्दुल मुल्क सैयद हुसैन बेलग्रामी, मेजर सैयद हुसेन, सर मंचरजी भावनगरी आदि थे।

मुख्य भाषण लॉर्ड कर्जनका था। तुर्क सदस्योंकी ओरसे उत्तर देनेवाले श्री सुलेमान खुसतानी ईसाई थे। उन्होंने कहा कि तुर्कीके राज्यमें सभीको एक बराबर हक हासिल है।

धींगराका मुकदमा

श्री मदनलाल धींगराका मुकदमा आज (२३ तारीखको) पेश हुआ। अदालतमें हमें जानेकी मनाही थी। श्री धींगराने अपना बचाव नहीं किया; इसलिए मुकदमा बहुत थोड़ी देर चला। उन्होंने यही जवाब दिया था कि मैंने देशकी भलाईके लिए हत्या की है और उसमें मैं कोई अपराध नहीं समझता। बड़े जजने उनको फाँसीकी सज़ा दी है। इस हत्याके सम्बन्धमें मैं अपना विचार बता चुका हूँ।[२] श्री धींगराका जवाब तो मैं सिर्फ बचपन-भरा या पागलोंका-सा समझता हूँ। जिन लोगोंने उनको यह अपराध करनेके लिए सिखाया होगा वे ईश्वरके सम्मुख उत्तरदायी हैं और इस दुनियामें भी गुनहगार हैं।

धींगराके मुकदमेकी प्रतिक्रिया

श्री धींगराके मुकदमेसे सरकारकी निगाह 'इंडियन सोशियोलॉजिस्ट' की ओर गई है। उस अखबारमें साफ लिखा गया था कि देशहितके लिए हत्या करना हत्या नहीं है। ऐसे कड़े लेखको छापनेपर बेचारे मुद्रकको चार महीनेकी कैदकी सजा दी गई है। जिसको सजा दी गई है वह निर्दोष और गरीब अंग्रेज है। उसको कुछ ज्ञान नहीं था। छपानेवाले पेरिसमें बैठे हैं, इसलिए उनको सरकार गिरफ्तार नहीं कर सकती। ऐसा करनेसे कुछ देशका उद्धार होनेवाला नहीं है। जबतक लोगोंमें खुद भारी कष्ट-सहन करनेवाले पैदा नहीं होंगे तबतक भारतका उद्धार कदापि नहीं होना है।

नेटालका शिष्टमण्डल

नेटालका शिष्टमण्डल अगले हफ्ते पहुँचनेवाला है। तबतक संघ अधिनियम (यूनियन ऐक्ट) लगभग स्वीकृत हो चुका होगा। संघ अधिनियम सम्बन्धी बातचीत अभी चल रही

  1. यह शब्द तुर्की साम्राज्यके संस्थापक "उस्मान" प्रथमके नामसे व्युत्पन्न हुआ है। "उस्मान" को अंग्रेजी में "ओसमान" लिखा जाता है और इसोसे ऑटोमन शब्द निकला और उसके द्वारा स्थापित साम्राज्य ऑटोमन साम्राज्यके नामसे प्रसिद्ध हुआ।
  2. देखिए "लन्दन", पृष्ठ ३००-०२।