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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है। उसमें कोई बड़ा फेरफार होनेवाला नहीं है। ऐसा जान पड़ता है कि काले लोगोंसे सम्बन्धित कानूनोंमें फेरफार करना संघ-संसदके हाथोंमें रहेगा। इसमें कोई सार नहीं है। यही कहा जायेगा कि मरा नहीं, गुजर गया, नाग-नाथ नहीं तो साँप-नाथ सही। मुझे भय है कि नेटालका शिष्टमण्डल बहुत विलम्बसे आया माना जायेगा। मैं यह नहीं मानता कि ऐसा न होता तो भी कोई लाभ हो सकता था।

डॉक्टर अब्दुर्रहमान

डॉक्टर अब्दुर्रहमान बहुत उद्योग कर रहे हैं। उन्होंने लॉर्ड क्रू से भी भेंट की है। किन्तु उससे कोई लाभ होगा, ऐसा सम्भव नहीं जान पड़ता। श्री श्राइनर बहुत प्रयास कर रहे हैं। उनके सम्मानमें एक समारोह २७ तारीखको इसी होटलमें किया जाना है, जिसमें बैठकर मैं यह पत्र लिख रहा हूँ।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २१-८-१९०९

१८८. पत्र: उप-उपनिवेश मन्त्रीको

लन्दन, एस॰ डब्ल्यू॰
जुलाई २४, १९०९

सेवामें,


उप-उपनिवेश मन्त्री[१]
उपनिवेश कार्यालय
व्हाइट हॉल, एस॰ डब्ल्यू॰


महोदय,

आपके इसी महीनेकी २३वीं तारीखके पत्र सं॰ २४३१६/१९०९ के सम्बन्धमें निवेदन है कि यदि लॉर्ड महोदयने मुलाकात दी तो मेरे साथी और मैं दक्षिण आफ्रिकाके संघीकरणको, जो जल्दी ही हो रहा है, ध्यानमें रखते हुए, उनके सामने ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंने स्वेच्छया जो कष्ट सहन किया है और अब भी कर रहे हैं उससे उत्पन्न और प्रभावित स्थिति पेश करेंगे। जिन ब्रिटिश भारतीयोंने शारीरिक कष्ट या आर्थिक हानि सहनेमें असमर्थ होनेके कारण एशियाई पंजीयन अधिनियम (एशियाटिक रजिस्ट्रेशन ऐक्ट) को, पसन्द न करनेपर भी, मान लिया है, उनमें से ज्यादातरकी यह इच्छा थी कि हम लोग लन्दन जायें और वहाँ ट्रान्सवाल सरकारके मुख्य अधिकारियोंकी उपस्थितिसे लाभ उठाकर लॉर्ड महोदयके सामने भारतीयोंकी स्थिति इस आशासे पेश करें कि वे इस मामलेमें मैत्रीपूर्ण हस्तक्षेप करेंगे और इस तरह, यदि सम्भव हो तो, उस स्थितिका अन्त कर देंगे जिससे सैकड़ों निर्दोष ब्रिटिश भारतीयोंको अकथनीय कष्ट पहुँचा है।

  1. अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर कॉलोनीज़।