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१९३. पत्र : लॉर्ड ऍस्टहिलको

[लन्दन]
जुलाई २८, १९०९

लॉर्ड महोदय,

सर मंचरजीने जनरल स्मट्सको व्यक्तिगत पत्र लिखकर उनसे भेंटकी प्रार्थना की थी। जनरल स्मट्सने व्यस्तता कम होनेपर उनको समय देनेकी रजामन्दी दिखाई है। इसका अर्थ बहुत-कुछ हो सकता है, या कुछ भी नहीं हो सकता; किन्तु चूँकि उसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जनरल स्मट्स मामलेमें विलम्ब करके हमारे कार्यकी सार्वजनिक चर्चाको रोकना चाहते हैं, इसलिए मुझे लगता है कि समय आ गया है जब हमें अपने विवरणको प्रचारित करना चाहिए और अधिकारियों एवं ब्रिटिश जनताको भी अपने कार्यसे अवगत कराना चाहिए। सर मंचरजी इससे सहमत ही नहीं हैं, बल्कि इसका आग्रह करते हैं। किन्तु जैसा मैंने अपने २६ तारीखके पत्रमें लिखा है, मैंने इसके विरुद्ध मत प्रकट किया है। मैं आपके सम्मुख नई स्थितिको रखना और विवरणको प्रकाशित करनेकी वांछनीयताके सम्बन्धमें आपकी सलाह माँगना अपना कर्तव्य समझता हूँ। क्या मैं आपको यह कष्ट दे सकता हूँ कि आप मुझे तारसे उत्तर दें।[१]

मैंने समितिकी बैठक बुलानेके सम्बन्ध में श्री रिचका पत्र देखा है। मेरा खयाल है कि समितिकी बैठक अब आवश्यक है।[२]

आपका, आदि,
[मो॰ क॰ गांधी]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९६६) से।

 
  1. लॉर्ड ऍम्टहिलने दूसरे दिन गांधीजीको तार दिया, जिसमें कहा था: "आपके कलके पत्रके उत्तर में विस्तृत पत्र लिखा है।" अपने पत्र में उन्होंने वक्तव्यके प्रकाशनके प्रति अनिच्छा प्रकट की थी। देखिए परिशिष्ट १७।
  2. लॉर्ड ऍम्टहिलका खयाल था कि इस समय समितिकी बैठकसे कोई उपयोगी कार्य सिद्ध न होगा। अपने २८ जुलाई के एल॰ डब्ल्यू॰ रिचको लिखे पत्रके उत्तरमें लॉर्ड ऍम्टहिलने लिखा था: "मैं इस काम में हर रोज घंटों वक्त दे रहा हूँ; अगर बैठककी जरूरत होगी तो मैं आपको तुरन्त बता दूँगा। श्री गांधीकी इस देश में मौजूदगी और लॉर्ड मार्ले जौर लॉर्ड क्रू से मुलाकात माँगने मात्रसे उत्तरदायी अधिकारी यह महसूस करने लगे हैं कि इस सवालपर विचार किया ही जाना चाहिए। उन्होंने इसपर विचार करने के लिए कहा है और वे इसपर विचार कर रहे हैं, इसलिए इस वक्त कोई भी सार्वजनिक दबाव डालना सामयिक या बुद्धिमत्तापूर्ण न होगा। मैं जनरल स्मउससे अगले हफ्ते मिलनेवाला हूँ और उन्हीं के ऊपर सब-कुछ निर्भर है। अच्छा हो, आप समिति और संसद सदस्यों को सिर्फ थोड़े समयके लिए चुप ही रखें।" उन्होंने यह भी कहा था: "मैंने श्री गांधीको जो पत्र अभी-अभी लिखा है और जिसे मैंने आपको दिखा देनेके लिए कहा है, उससे यह बात साफ हो जायेगी कि समितिको क्यों अभी कुछ नहीं करना है।"