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१९४. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

लन्दन,
जुलाई २९, १९०९

लॉर्ड महोदय,

ट्रान्सवालके भारतीयोंके मामलेमें, जिसे आपने अपना ही मामला बना लिया है, आप बहुत कष्ट उठा रहे हैं। इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। मैंने आपका पत्र[१] पढ़ते ही यह तार[२] दे दिया था कि आपसे सलाह किये बिना कुछ न किया जायेगा। मैंने उसमें यह भी कह दिया था कि मैं यह पत्र लिख रहा हूँ और विवरण भेज रहा हूँ।[३]

शायद मुझे यह बात साफ कर देनी चाहिए कि मैं ज्यादातर पत्र, जिन्हें अन्यथा मैं अपने हाथसे लिखना पसन्द करता, बोलकर लिखाता हूँ। इसका कारण यह है कि मेरी लिखावट बहुत खराब है और पढ़नेमें नहीं आती। मैं यह बात खेदके साथ स्वीकार करता हूँ।

मेरे साथीको और मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि जिन विशिष्ट व्यक्तियोंका उल्लेख आपने अपने पत्र में किया है, उनसे आप मिल लिये हैं।

मैं इसके साथ प्रूफ-रूपमें "विवरण" भेज रहा हूँ, क्योंकि वह कल यह समझकर मुद्रकको भेज दिया गया था कि आप उसे मंजूर तो कर ही लेंगे। लेकिन वह आपकी सलाह लिए बिना न तो छापा जायेगा और न किसीको भेजा जायेगा।

अगर १९०७ का कानून रद कर दिया जाये और मेरे सुझाये गये तरीकेसे ट्रान्सवालमें हर साल छ: भारतीयोंको आने देनेका वादा कर दिया जाये तो मुझे निश्चय ही सन्तोष हो जायेगा...[४]। मुझसे ऐसा ही प्रश्न लॉर्ड मॉर्लेने भी किया था। क्या मैं [आशा करूँ कि] ट्रान्सवालकी संसदमें या प्रान्तीय कौंसिलमें, जहाँ भी हो, [इस मामलेपर फिर विचार किया जायेगा][५] और प्रवासी कानूनमें ऐसा सुधार कर दिया जायेगा जिससे सामान्य शिक्षा-परीक्षाके अनुसार ऊँची शिक्षा पाये हुए भारतीय ट्रान्सवालमें आ सकें? ऐसे लोग ज्यादासे-ज्यादा छः आ सकेंगे, लेकिन उनकी संख्या कानूनसे सीमित या नियन्त्रित न की जायेगी, बल्कि प्रशासनिक कार्रवाईसे की जायेगी। इसका अर्थ यह है कि प्रवासी-अधिकारी परीक्षा कड़ी लेकर सालमें केवल छः ही भारतीयोंको पास करेगा। जहाँतक प्रवासका सम्बन्ध है, इस तरह आये हुए भारतीय प्रवासी रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) या शिनाख्तकी सभी कार्रवाइयोंसे बरी होंगे। उनका रजिस्ट्रेशन उस परीक्षासे ही हो जायेगा जो सीमापर ली जायेगी और

  1. लॉर्ड ऍम्टहिलके २८ जुलाईके उस पत्रके लिए, जिसमें गांधीजीकी बातोंका सिलसिला और लॉर्ड ऍम्टहिलने अपने पत्र में जो मुद्दे उठाये हैं उनका उत्तर मिलता है, देखिए परिशिष्ट १७।
  2. यह तार उपलब्ध नहीं है
  3. देखिए "ट्रान्सवालवासी भारतीयोंके मामलेका विवरण", पृष्ठ २८७-३००।
  4. यहाँ मूलमें कुछ शब्द कट गये हैं, इसलिए उनकी पूर्ति यहाँ प्रकरणके अनुसार अनुमानसे की गई है
  5. यहाँ मूलमें कुछ शब्द कट गये हैं, इसलिए उनकी पूर्ति यहाँ प्रकरणके अनुसार अनुमानसे की गई है।