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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नौरोजी और बंगाल व्यापार-संघ (बेंगाल चेम्बर ऑफ कॉमर्स) के अध्यक्षको लिखे गये प्रार्थना-पत्रोंका[१] अनुवाद मुख्य-मुख्य भाषाओं में करा लिया होगा और उसको दूर-दूर तक बँटवा दिया होगा। यदि आपको उचित समर्थन प्राप्त हो तो हर जगह स्वयंसेवक आपको मिलने चाहिए। वे इन प्रतियोंको ले जायें और बाँट दें। उनको मस्जिदों, मन्दिरों, नाटकघरों और ऐसे ही अन्य स्थानोंके पास तैनात किया जा सकता है।

मुझे आज आपके तारकी प्रतीक्षा है। उसके बाद, आशा है, मैं आपको एक संक्षिप्त तार दूँगा। किन्तु यदि मुझे आज आपका तार न मिला तो मैं कल या सोमवारको स्वतन्त्र रूपसे तार दे सकता हूँ। श्री आंगलिया और अन्य दो व्यक्ति कल आ रहे हैं। श्री अब्दुल कादिर अब भी हमारे साथ इसी होटलमें ठहरे हुए हैं। मैं आशा करता हूँ कि आप भारतीय निर्देशिकाएँ (डायरेक्टरीज), एक उपयुक्त अंग्रेजी-गुजराती और गुजराती-अंग्रेजी कोष और सन्दर्भकी या पढ़नेकी दूसरी पुस्तकें, जो दक्षिण आफ्रिकामें नहीं मिलतीं, ले लेंगे। प्रो॰ गोखलेसे हमारी शिक्षा-योजनाके सम्बन्धमें भी बातचीत करें। वे बहुत बड़े शिक्षाशास्त्री हैं, इसलिए उपयोगी सुझाव दे सकते हैं। मेरा खयाल है, आप छगनलालके[२] सहयोगसे बम्बई में एक एजेंसी खुलवा सकते हैं, और चाहे तो आप नटेसनसे[३] कोई निश्चित करार भी कर सकते हैं। इससे हमारे विचारों और मतोंके प्रचारमें भी सहायता मिलेगी।

मिली शनिवारको आ गई। पिताजी साउदैम्टन गये थे; किन्तु वे मिली आदिके साथ नहीं लौटे। उनको माताजी, मॉड, हाजी हबीब, हुसेन और मैं जाकर ले आये। सैली नहीं आ सकीं, क्योंकि उनको अपना काम देखना था। मिली और सिलिया दोनों, तथा वाल्डो और बेबी भी, बहुत अच्छे दिखाई दे रहे थे। मेरा खयाल है, वे यात्राके कारण और भी अच्छे लगते हैं। वे जहाजमें मजेमें रहे हैं। सिलिया ऐमीको ढूँढने गई और फिर सीधे कमरोंमें चली गई; मिली बेबीके साथ होटलमें आ गई। व्यवस्था तो यह थी कि सिलिया ऐमीके साथ होटलमें आये, किन्तु उसने अपनी आतुरतामें उस होटलका नाम नहीं पूछा था जिसमें मैं ठहरा हुआ हूँ और होटल सेसिलमें चली गई, और पीछे सीधे कमरोंमें पहुँच गई। वाल्डोको कुछ जुकाम हो गया है; किन्तु ज्यादा नहीं है।

कुमारी स्मिथके यहाँ दावत थी। मिली और मॉड वहाँ गई थीं। मेरा खयाल है, वहाँ दोनोंको अच्छा लगा। दावत अच्छी ही थी, और मण्डली भी अच्छी थी। उसमें कुछ भारतीय महिलाएँ भी थीं। मिली उनमें से एक, श्रीमती दुबेकी सहेली बन गई है। वे उत्तर भारतीय हैं, यद्यपि उनका कुछ पालन-पोषण बम्बईमें भी हुआ है। वे अंग्रेजी बहुत अच्छी बोलती हैं। मिलीकी उनके साथ और घनिष्ठता हो जायेगी।

वह जिन कमरोंमें है उनको पसन्द नहीं करती और शायद क्रिकलवुड या क्यूमें एक ऐसा छोटा घर ले लेगी, जिसमें थोड़ी साज-सज्जा हो। मैंने उसको सुझाव दिया है कि वह अपने साथ हुसेनको रखे। यह दोनोंके लिए सन्तोषजनक होगा। हुसेन बहुत अच्छा चल रहा है।

  1. देखिए परिशिष्ट १५।
  2. छगनलाल गांधी इस समय भारतको रवाना हो गये थे, जहाँसे वे बैरिस्टर बननेके लिए इंग्लैंड जानेवाले थे, किन्तु श्री ए॰ एच॰ वेस्टकी बीमारी के कारण कुछ माह रुक गये थे।
  3. जी॰ ए॰ नटेसन (१८७३-१९४९); राजनीतिक और प्रकाशक तथा इंडियन रिन्यूके संस्थापक और सम्पादक।