पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२३
लन्दन

उससे अच्छा युवक मिलना मुश्किल होगा। किन्तु वह कुछ खोया खोया-सा है। उसमें वह उमंग नहीं है जिसकी उस आयुके युवकसे मुझे आशा करनी चाहिए और वह पर्याप्त परिश्रम नहीं करता। चूँकि वह जिद्दी नहीं है, इसलिए मिलीका सौम्य मार्गदर्शन आसानीसे ग्रहण कर सकता है। मैंने मिलीसे बात कर ली है कि उसके लिए क्या किया जाना चाहिए। ऐमी भी मिलीके साथ रह रही है। मुझे मालूम हुआ है कि ऐमी बहुत बड़ी हो गई है। किन्तु वह स्थिर स्वभावकी लड़की नहीं है और मिलीको उसके कारण कुछ चिन्ता हो जाती है। मैंने सोमवारको दफ्तरी, मॉरेलिटी[१] और प्रेसीडेंसी एसोसिएशनको[२] आपके सम्बन्धमें तार[३] दिये थे। मैं यह जाननेको उत्सुक हूँ कि उनपर कुछ अमल हुआ या नहीं।

मैं गत रातको स्त्रियोंके मताधिकारके सम्बन्धमें आन्दोलन करनेवाली महिलाओं (सफ्रेजेट) की एक विराट सभामें गया था। श्रीमती पैकहर्टसे[४] भी मिला था। मैं आपको उनका साप्ताहिक पत्र 'वोट्स फॉर वीमन' भेज रहा हूँ। हमें इन महिलाओंसे और इनके आन्दोलनसे बहुत कुछ सीखना है। मेरे पास दूसरी पुस्तिकाएँ भी हैं, जिन्हें मैंने आपको भेजनेका विचार किया था; किन्तु पीछे सोच-विचार कर तय किया कि उनको जोहानिसबर्ग या फीनिक्स भेज दूँ। मैं आपके लिए दूसरा सैट लाऊँगा और वह आपको अगले सप्ताह मिलेगा।

श्रीमती रिचका स्वास्थ्य बराबर सुधर रहा है। मेरा खयाल है, इस बार वे फिर बीमार नहीं होंगी।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९७०) से।

१९६. लन्दन

शुक्रवार, जुलाई ३०, १९०९

नेटालके प्रतिनिधि

नेटालके प्रतिनिधि यहाँ कल पहुँचेंगे। हममें से कुछने उनको लेने जानेकी तैयारी कर ली है।

सफ्रेजेट्स

श्री अब्दुल कादिर, श्री हाजी हबीब और मैं मताधिकार प्राप्त करनेके लिए लड़नेवाली स्त्रियोंकी सभामें गये थे। सेन्ट जेम्स भवन इन स्त्रियोंसे ठसाठस भरा था। श्री हाजी हबीबकी गिनतीके अनुसार स्त्रियाँ और पुरुष मिलकर १,५०० होने चाहिए।

ऐसी सभा लगभग हर हफ्ते होती है। इस सभा हर बार धन-संग्रह किया जाता है और कमसे-कम ५० पौंड आते हैं। कलकी सभामें १०० पौंड इकट्ठे हुए थे। यह सभा जेलसे रिहा की गई स्त्रियोंके सम्मानके लिए बुलाई गई थी। ऐसी स्त्रियाँ १४ थीं, उनको

  1. रेवाशंकर झवेरी ऐंड कं॰ बम्बईका तारका पता।
  2. बम्बईका।
  3. यह उपलब्ध नहीं है।
  4. श्रीमती एम्लिन पैकहर्स्ट (१८५८-१९२८), देखिए खण्ड ७, पृष्ठ ६५।