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पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

मार्गको नहीं अपना सकते, बल्कि इसलिए कि वे अपने शिक्षणके कारण इस दूसरे तरीकेके अभ्यस्त हो गये हैं; और मुझे यह स्वीकार करनेमें कोई बाधा नहीं है कि ट्रान्सवालका अनाक्रामक प्रतिरोध भारतके हिंसाकारी दलको व्यावहारिक रूपसे यह दिखाता है कि वह बिलकुल गलत रास्तेपर है और जबतक उसका विश्वास किसी भी प्रकारकी राहत पानेके लिए हिंसामें रहेगा, तबतक उसके प्रयत्न बेकार रहेंगे।

मुझे अच्छी तरह मालूम है कि मेरे अपने विचारोंका यह स्पष्टीकरण शायद आपके किसी उपयोगका न हो और सम्भवतः यह हर तरहकी दिलचस्पीसे खाली भी हो। मैंने यह सब केवल इसलिए लिखा है कि मेरे बारेमें कोई गलतफहमी न हो।[१] मुझे इस बातका बहुत खयाल है कि मैं आपसे कोई बात न छुपाऊँ। मैं इस बातके लिए भी बहुत उत्सुक हूँ कि जो कोई काम हाथ में लूँ उसमें आप जैसे महानुभावका, जिन्हें साम्राज्यसे और मेरी मातृभूमिसे इतना अधिक प्रेम है, बल मुझे प्राप्त रहे।

हमारी मुसीबतोंमें आप जो गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और इस पत्रके अनिवार्य विस्तारके लिए क्षमायाचना के साथ—

आपका, आदि,
[ मो॰ क॰ गांधी]

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९७६) से।

२००. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अगस्त, ५, १९०९

लॉर्ड महोदय,

मैं आपके कलकी तारीखके दो पत्रोंकी प्राप्ति-सूचना निवेदित करता हूँ। आशा है आपके पत्रोंकी नकलें जल्दीसे-जल्दी आपको भेज दूँगा।[२] आपके इसी ३ तारीखके पत्रका उत्तर[३] मैं भेज चुका हूँ।

शिक्षित भारतीयोंका प्रश्न नया होनेके आरोपके सम्बन्धमें मैं एक अलग कागजपर[४] लिख रहा हूँ, ताकि आप उसका उपयोग इस पत्रका हवाला दिये बिना कर सकें। जिस संशोधनको

  1. अगस्त ७ को पत्रकी प्राप्ति-सूचना देते हुए लॉर्ड ऍॉटहिलने ट्रान्सवालके अनाक्रामक प्रतिरोध और भारतके आतंकवादी आन्दोलनके बीच सम्बन्ध होनेकी बातपर गांधीजीकी इस स्पष्ट उक्तिके बारेमें लिखा था: "आपने ठीक वही जवाब दिया है जिसकी मुझे आशा थी। मैं यों भी अपने आन्तरिक विश्वासके आधार पर इस आरोपको पूरी वेमुरौवतीके साथ अस्वीकार करनेमें कभी बाज नहीं आया हूँ; अब तो इसमें मुझे आपके निष्पक्ष और सांगोपांग स्पष्टीकरणकी निश्चितताका बल भी प्राप्त है। मुझे अपनेतई कभी क्षण-भरको इस बातमें सन्देह नहीं रहा कि भारत के षड्यन्त्रकारियोंसे आपका कोई सम्बन्ध नहीं है; लेकिन जब ऊँचे तबकेके जिम्मेदार लोगोंने ऐसी सलाह दी तो मुझे स्पष्टीकरण करना पड़ा है।
  2. लॉर्ड ऍम्टहिलने उन पत्रोंकी प्रतियाँ माँगी थी जो उन्होंने गांधीजीको लिखे थे।
  3. देखिए पिछला शीर्षक।
  4. देखिए सहपत्र १।