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२०२. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अगस्त ६, १९०९

लॉर्ड महोदय,

मैं अभी विवरणकी[१] बीस प्रतियाँ भेज रहा हूँ। आपके दिये गये अधिकतर सुझाव इसमें आ गये हैं और मुझे आशा है कि वे जिस ढंगसे लिये गये हैं वह आपको पसन्द आयेगा। विवरण दुरूह (टेकनिकल) न हो जाये, इस खयालसे आपके आवश्यक समझे हुए कुछ स्पष्टीकरण अन्तमें टिप्पणियोंके रूप में दे दिये गये हैं। जैसा कि एक पहले पत्रमें कहा जा चुका है, विवरण अब भी प्रूफके रूपमें है। इसलिए यदि और भी कोई संशोधन आवश्यक हो तो वह किया जा सकता है।

टिप्पणी 'घ' वह प्रार्थनापत्र[२] है जिसका उल्लेख अनुच्छेद २९ में किया गया है। यह अभी छापी नहीं गई है। किन्तु आपके अवलोकनके लिए मैं इस पत्र के साथ उसकी नकल भेजता हूँ।

आपके पत्रोंकी नकल की जा रही है।

मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि माँगोंपर सर जॉर्ज फेरारकी सहमति प्राप्त की जा सके तो श्री स्मट्सके कोई आपत्ति करनेकी सम्भावना नहीं रहेगी।

सम्भव है, श्री स्मट्स कह दें कि संघ-निर्माणके कारण शायद अब ट्रान्सवाल संसदका कोई अधिवेशन न होगा, इसलिए मैं कुछ नहीं कर सकता। यदि वे यह रुख ग्रहण करें तो भी यह वचन दे सकते हैं कि वे संघके अन्तर्गत बनाई जानेवाली प्रान्तीय परिषदके पहले अधिवेशनमें किसी भी प्रकार दोनों माँगोंको मंजूर करा देंगे और तबतक प्रवासी कानूनपर इस प्रकार अमल किया जायेगा मानो एशियाई कानून है ही नहीं...[३] तब अनाक्रामक...[४] प्रयत्न सफल होनेपर, मैं यह मान लेता हूँ कि इस समय ट्रान्सवालकी जेलोंमें जो अनाक्रामक प्रतिरोधी हैं वे बिना शर्त रिहा कर दिये जायेंगे और जो निर्वासित कर दिये गये हैं उनको पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) के लिए अर्जी देनेका अवसर दिया जायेगा।

यदि श्रीमान हमारा आपसमें परामर्श करना आवश्यक मानते हों तो मैं सेवामें हाजिर हूँ।

लॉर्ड क्रू ने अब मेरे साथीसे और मुझसे भेंटके लिए अगले मंगलका दिन नियत कर दिया है।

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९८२) से।

 
  1. देखिए "ट्रान्सवालवासी भारतीयों के मामलेका विवरण", पृष्ठ २८७-३००।
  2. देखिए "प्रार्थनापत्र: उपनिवेश मंत्रीको", पृष्ठ १७-२८। इसे विवरणमें शामिल नहीं किया गया था।
  3. बिन्दुओंके स्थानपर दफ्तरी प्रति फट गई है।
  4. बिन्दुओंके स्थानपर दफ्तरी प्रति फट गई है।