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लन्दन


नेटाल शिष्टमण्डल यानी सर्वश्री अब्दुल कादिर, आंगलिया, भायात और बदात यहाँ आ गये हैं। नेटालके प्रतिनिधियोंके लिए तैयार किये गये विवरणका मसविदा[१] मैं इसके साथ भेज रहा हूँ। जिस क्रमसे शिकायतें प्रस्तुत होनी चाहिए थीं, उसमें हेरफेर मैंने नहीं किया है।

जंजीबारसे ट्रान्सवालके संघर्षका समर्थन करनेवाला एक बढ़िया तार सर मंचरजीको मिला है।[२] सर मंचरजीने उसकी नकलें उपनिवेश कार्यालय तथा इंडिया ऑफिस दोनोंको भेजी हैं।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९८१) से।

२०४. लन्दन

शुक्रवार, अगस्त ६, १९०९

नेटालका शिष्टमण्डल

श्री आमद भायात, श्री एच॰ एम॰ बदात और श्री आंगलिया पिछले शनिवारको सकुशल यहाँ आ गये हैं। उनका स्वागत करनेके लिए श्री रिच, श्री हाजी हबीब, कुमारी पोलक, श्री आजम हाफेजी, श्री हुसेन दाउद, श्री अब्दुल कादिर और श्री गांधी गये थे। उनके ठहरनेकी व्यवस्था उसी होटलमें की गई है जिसमें ट्रान्सवालके शिष्टमण्डलकी। नेटालके सदस्योंने सर मंचरजी, नबाब मेजर सैयद हुसेन बेलग्रामी, सैयद हुसेन और श्री गुप्तके साथ मुलाकात की है। उन्होंने लॉर्ड क्रू और लॉर्ड मॉर्लेसे मिलनेकी प्रार्थना की है। इनमें से लॉर्ड क्रू का उत्तर मिला है कि वे गुरुवार, १२ अगस्तको मिलेंगे। इन लोगोंने एक विवरण तैयार किया है।[३] मुझे लगता है कि शिष्टमण्डलकी कोई सुनवाई नहीं होगी। एक तो वक्त निकल चुका है और दूसरे वह पुराने मामलेको ले कर आया है। फिर भी यह कहा जा सकता है कि वह यहाँसे जो अनुभव ले जायेगा वह भारतीय समाजके लिए लाभप्रद होगा। शिष्टमण्डल अन्य प्रमुख लोगोंसे मिलनेकी कोशिश कर रहा है। यह समय ऐसा है जब इंग्लैंडके बहुत-से प्रमुख लोग सैर करने चले जाते हैं और सितम्बर तक वापस नहीं आते। न्यायमूर्ति अमीर अली भी फिलहाल यहाँ नहीं हैं। वे दूर गये हुए हैं।

श्रीमती रिच

श्रीमती रिचने बहुत सख्त बीमारी झेली है। ये भली महिला पिछले दो सालसे पीड़ित हैं। उनके घावकी चार बार चीरफाड़ की गई है। वे खाटसे लग गई हैं। श्री रिच उनकी

  1. मूल मसविदा उपलब्ध नहीं है; लेकिन संशोधित मसविदेके लिए, जिसपर शिष्टमण्डलके सदस्योंके दस्तखत हैं, देखिए "नेटालवासी भारतीयोंके कष्टोंका विवरण", १४ ३४३-४९
  2. यह श्री पोल्ककी जंजीबार यात्रा के सम्बन्धमें था। इसका उल्लेख उन्होंने अपने २१ अगस्तके पत्र किया है।
  3. इसका मसविदा स्वयं गांधीजीने तैयार किया था। देखिए पिछला शीर्षक।
९-२२