पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बुधवार [ सितम्बर २, १९०८]

हरि करे सो होय

श्री दाउद मुहम्मद तथा अन्य भाइयोंको निकाल दिया गया था, किन्तु जैसा कि होना था, वापस वे सबके-सब दाखिल हो गये हैं । यही नहीं, श्री दाउद मुहम्मद, श्री पारसी रुस्तमजी तथा श्री आंगलिया जोहानिसबर्ग आ गये हैं और उन्होंने काम फिरसे शुरू कर दिया है । दूसरे भाई फोक्सरस्ट जेलकी हवा खा रहे हैं । इसका अर्थ इतना ही है कि उन्हें जोहानिसबर्ग आने की जरूरत नहीं बची । मंगलवारको सबपर मुकदमा चलनेवाला था, किन्तु सरकारने आगामी मंगलवार, तारीख ७ को मुकदमा चलाना तय किया है । इस अवसरका लाभ उठाकर तीन सेठ जोहानिसबर्ग आ पहुँचे हैं । सब अपना-अपना फर्ज अदा कर रहे हैं । उनकी जोहानिसबर्ग में आवश्यकता है । दूसरे लोग जेल में रहकर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं ।

सोराबजीका क्या हुआ ?

श्री सोराबजी वापस आनेवाले थे, फिर भी सवाल उठ रहा है कि वे वापस क्यों नहीं आ रहे हैं । मुझे यह कहना है कि श्री सोराबजी तो फिरसे दाखिल होनेके लिए बहुत तड़प रहे हैं, किन्तु फिलहाल चार्ल्सटाउनमें ही रहना उनका फर्ज है । इस प्रकार वे अधिक सेवा कर रहे हैं । संघने उन्हें रोक रखा है । संघने उस विषयमें जो प्रस्ताव किया है, सरकारकी ओरसे अभीतक उस प्रस्तावका उत्तर नहीं आया । इस कारण तथा अन्य कारणोंसे वे अभी तुरन्त नहीं बुलाये गये हैं । जब समय आयेगा तब वे दाखिल होंगे । सभी एक ही तरहसे कर्तव्य पूरा नहीं कर सकते । कर्तव्य करना ही सबका काम है, और श्री सोराबजीका कर्तव्य अपने उत्साहको दबाकर प्रतीक्षा करना है ।

मूसा ईसप आडिया

श्री मूसा ईसप आडियाको प्रिटोरियामें एक पौंड जुर्माना हुआ । उनका माल जब्त करते हुए आज कुर्क-अमीनने सारी दूकानपर मुहर लगा दी । यह गैरकानूनी बात है । कुर्क-अमीनको इसका कोई अधिकार नहीं है । इसलिए संघने श्री आडियाको दूकान खोलने और कुर्क अमीनके नाम नोटिस निकलवानेकी सलाह दी है ।

दिलदार खाँ

श्री दिलदार खाँ एक गोरेके यहाँ नौकर थे । गोरेने उन्हें बरखास्त कर दिया है, क्योंकि वे कानूनके विरोध में हलचल करते हैं; और उन्होंने कल हेजाज रेलवे [ समारोह ] के सम्बन्धमें छुट्टी माँगी थी । श्री दिलदार खाँकी हिम्मतपुर में उन्हें बधाई देता हूँ ।

चन्दा

श्री दाउद मुहम्मद, श्री रुस्तमजी तथा श्री आंगलियाने आते ही काम शुरू कर दिया है । वे चन्दा करने निकले थे । जिन्होंने रकम दी है, उनके नाम अगले हफ्ते देनेकी बात सोच रहा हूँ ।

[ गुजराती से ]

इंडियन ओपिनियन, ५-९-१९०८

Gandhi Heritage Portal