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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आधारपर मैं यह सुझाव देनेकी धृष्टता करता हूँ कि अगर आपने उनसे बातचीत बिलकुल खत्म न कर दी हो तो जनरल स्मट्सके सामने इस संशोधनको मेरे पाससे आया हुआ बताकर न पेश करें, बल्कि उनसे स्वतन्त्र रूपसे पूछें कि क्या वे प्रवासी कानूनमें ऊपर बताया गया संशोधन करनेके लिए तैयार हैं। मैं इस धाराको पेश कर रहा हूँ, इसका कारण यही है कि मैं तत्काल समझौता करने और आपके लम्बे तथा कठिन श्रमको व्यर्थ होनेसे बचानेका सच्चे दिलसे इच्छुक हूँ। लेकिन अगर इसका नतीजा कुछ भी न निकले तो मैं चाहता हूँ, आप मान लें कि यह कभी सुझाया ही नहीं गया था। जहाँतक मेरा सम्बन्ध है, मेरा पेश किया हुआ पहला संशोधन ऐसा है जिसे मैं अपने लोगोंको आन्दोलनके बीच किसी भी वक्त स्वीकार करनेकी सलाह दे सकता हूँ, लेकिन जिस धाराको मैं अब पेश कर रहा हूँ वह उस श्रेणीमें नहीं आती।

कृपया सूचित करें कि मैंने आपको जिस विवरणकी बीस प्रतियाँ भेजी थीं उसके सम्बन्धमें क्या आपको कोई और सुझाव देना है, और क्या अब वह प्रकाशित और वितरित किया जा सकता है?

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९९०) से ।

२०८. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अगस्त ९, १९०९

प्रिय लॉर्ड ऍम्टहिल,

मुझे अब रेवरेंड श्री डोककी किताबका[१] प्रूफ मिल गया है, हालाँकि इसमें कुछ देर हुई है। मैं बहुत उत्सुक हूँ कि यह किताब जितनी जल्दी सम्भव हो, छप जाये। मैं यहाँ यह भी जिक्र कर दूँ कि मेरे पास अनेक खरीदारोंके पेशगी पैसे भी आ गये हैं।

मैं जानता हूँ कि आप बहुत व्यस्त हैं, इसलिए आपपर यह अतिरिक्त भार डालने में संकोच हो रहा है। किन्तु आपने यह वादा करनेकी कृपा की थी कि आप प्रूफ पढ़ेंगे और अगर किताब पसन्द आयी तो उसकी भूमिका लिख देंगे। फिर भी आशा करता हूँ कि आप इस ओर ध्यान देनेका समय निकालनेकी कृपा करेंगे; क्योंकि मुझे विश्वास है आप यह काम करना चाहते हैं।[२]

मैं अलग लिफाफेमें प्रूफ भेज रहा हूँ।

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९८९) से।

  1. एम॰ के॰ गांधी: ऐन इंडियन पैट्रियट इन साउथ आफ्रिका।
  2. लॉर्ड ऍस्टहिल द्वारा पुस्तककी भूमिकाके लिए देखिए परिशिष्ट १८