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पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

तत्सम्बन्धी आवश्यकता पूरी की जाती रहती है उसके एवजमें उससे कमसे-कम इतना करनेके लिए अवश्य कहा जा सकता है कि जो ब्रिटिश भारतीय वहाँ बस गये हैं और इस प्रकार जिन्होंने वहाँ निहित स्वार्थ स्थापित कर लिये हैं, उनके साथ सामान्य न्याय और निष्पक्ष व्यवहार किया जाये।

अब्दुल कादिर
अमोद भायात
एच॰ एम॰ बदात
एम॰ सी॰ आंगलिया

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: १७९/२५५

२१०. पत्र : लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अगस्त, १०, १९०९

लॉर्ड महोदय,

श्री हाजी हबीब और मैं लॉर्ड क्रू से मिलकर अभी लौटे हैं। उनका रुख बहुत सहानुभूति पूर्ण था; उन्होंने हमारी बात धैर्यंसे सुनी। मैंने उनके सामने उस संशोधनकी एक हल्की-सी रूपरेखा रखी जो मैंने कल सायं आपको भेजा था, क्योंकि मैंने देखा कि अवसर इतना अच्छा है कि उससे चूकना न चाहिए। मैंने उनसे निवेदन कर दिया कि हम इस प्रश्नपर आपके साथ पूरी तरह विचार-विमर्श कर चुके हैं। लॉर्ड क्रू ने सिर हिलाकर अपना प्रशंसा-भाव व्यक्त किया और कहा कि आपने [लॉर्ड ऍम्टहिलने] इस प्रश्नके सम्बन्धमें बहुत परिश्रम किया है। लॉर्ड क्रू ने जो-कुछ कहा, उससे मुझे लगता है कि बातचीत अभी जारी है। मेरा खयाल है, वे स्वीकार करते हैं कि मैंने जो संशोधन सुझाया है वह बहुत उचित है और वे जनरल स्मट्सपर उसे माननेके लिए जोर डालेंगे। इन स्थितियों में अब क्या किया जाये, मेरी समझमें नहीं आ रहा है। मैं आपकी सलाहकी प्रतीक्षामें हूँ।[१]

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९९६) से।

 
  1. इस विषयपर लॉर्ड ऍम्टहिल, जनरल स्मट्स और लॉर्ड क्रू के बीच जो बातचीत हुई और पत्र-व्यवहार चला उससे गांधीजी और स्मटसके बीच एक "सैद्धान्तिक मतभेद" प्रकट होता है। देखिए परिशिष्ट २०।