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२१६. लन्दन

[अगस्त १२, १९०९ के बाद]

नेटालका शिष्टमण्डल

नेटालका शिष्टमण्डल गुरुवारको[१] लॉर्ड क्रूसे मिला। उन्होंने सारी हकीकत सुनी। श्री आंगलियाने अपनी बात कही और बादमें श्री अब्दुल कादिर बोले। लॉर्ड क्रू ने सहानुभूति प्रकट की; लेकिन उन्होंने बताया कि जो कानून बन चुके हैं, वे रद नहीं होंगे। संघ बननेके बाद संघ-संसदके अधीन स्थितिमें सुधार होनेकी सम्भावना है। शिष्टमण्डलके आवेदनपत्रमें परवानों, गिरमिटिया कानून और शिक्षा बात आई है। अब आवेदनपत्रकी नकलें सब संसद सदस्योंमें बँटवानेकी तैयारी हो रही है। डर्बनसे भेजी गई अर्जी यहाँके दो अखबारों में संक्षेपमें प्रकाशित हुई है। उसकी नकल श्री रिच दूसरे स्थानोंमें भेजनेवाले हैं।

स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली महिलाएँ

स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली महिलाएँ (सफ्रेजेट्स) अब भी बहुत प्रयास कर रही हैं। वे स्थान-स्थानपर सभाएँ कर रही हैं। संसदके द्वारके आगे नियुक्त प्रत्येक स्त्री अब भी सारी रात खड़ी रहती है। वे जो कष्ट सहन करती हैं उनमें से कुछ, निःसन्देह, बहुत सराहनीय हैं।

धींगरा

श्री धींगराको सत्रह तारीखको फाँसी देनेकी बात चल रही है। लेकिन यह भी सम्भव है कि फाँसीकी सजा माफ हो जाये।

ब्रिटिश लोकसभा

लोकसभामें अभी हालमें बजट-सम्बन्धी विधेयक (बिल) पेश हुआ है। उसकी सरगरमी चल रही है। सदस्य रात-रात भर बैठे रहते हैं। फलस्वरूप लगभग आधे सदस्य भरी सभामें लम्बे पड़कर सो जाते हैं और जब मत देनेका समय आता है तब जागते हैं और मत देकर फिर सो जाते हैं। यह हाल दुनियाकी सबसे महान संसदका है। इन परिस्थितियोंमें राष्ट्रका काम कैसे होता होगा, इसका विचार पाठक ही कर लें। अधिकतर लोग स्वार्थी दिखाई देते हैं। यदि यह कहें तो अनुचित न होगा कि सच्चे न्यायका सूर्य अस्त हो गया है। किन्तु अन्य लोगोंकी तुलनामें अंग्रेज लोग कुछ ठीक आचरण करते हैं; इसीलिए वे दूसरे राष्ट्रोंके मुकाबले ज्यादा गौरवशाली हैं। लेकिन ऐसा नहीं जान पड़ता कि अब पाश्चात्य संस्कृति दीर्घकालतक टिक सकेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-९-१९०९
  1. अगस्त १२, १९०९। श्री आंगलियाके वक्तव्य के लिए देखिए परिशिष्ट १९।