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२१९. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अगस्त १४, १९०९

लॉर्ड महोदय,

आपके १२ तारीखके पत्रके लिए धन्यवाद। इससे मुझे प्रोत्साहन मिला है कि श्री रिचने लॉर्ड क्रू को जो पत्र[१] लिखा था और जो तार[२] उसमें संलग्न था उनकी नकलें आपको भेज दूँ। मुझे निश्चय है कि इस तारको पढ़कर महानुभावको भी वैसा ही दुःख होगा जैसा कि मुझे हुआ है।[३]

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५०१०) से।

२२०. तार: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको[४]

[लन्दन]
अगस्त १६, १९०९

दाउदका स्थान ट्रान्सवालमें। संशोधनमें सामान्य शिक्षा परीक्षा और गवर्नरको यह अधिकार देना शामिल कि परीक्षा पास करनेवाले लोगोंकी संख्या राष्ट्रीयताके आधारपर नियन्त्रित करनेके नियम बना दें।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०१८) से।

  1. इसमें कैदियोंको दिये जानेवाले भोजन-सम्बन्धी आरोपोंकी जाँच करानेकी प्रार्थना की गई थी और नागप्पनकी मृत्युके सम्बन्ध में की गई कार्रवाई की और विशेष ध्यान खींचा गया था।
  2. ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघ (ट्रान्सवाल ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) से मिले इस तारमें कहा गया था: "कैदी भारी कष्ट पा रहे हैं, अपर्याप्त पोषणहीन भोजन। रुस्तमजीके सिवा जोहानिसबर्गके सब कैदियोंको, जो एकदम निर्वासित कर दिये गये थे और लौट आये, छ:-छ: महीनेकी कड़ी कैद। कल खासी अच्छी सार्वजनिक सभा हुई। प्रस्ताव, भूतपूर्व कैदियोंको बधाई; नागप्पनके मामलेकी रिपोर्टसे जनतामें नाराजी; प्रकाशित प्रमाणोंसे भारतीय आरोपोंकी पूरी पुष्टि, शिष्टमण्डलोंका समर्थन। साम्राज्य सरकारसे इस मौकेपर दखल देनेकी सादर आग्रहपूर्ण अपील। गिरफ्तारियाँ, देश-निकाला जारी।"
  3. लॉर्ड ऍम्टहिलने १६ अगस्तको लिखे पत्र में इस विषय में अपने विचार व्यक्त किये थे: "यद्यपि अत्याचारोंका जारी रहना और इस वक्त बढ़ जाना दुःखद और खीज पैदा करनेवाला है, पर मुझे लगता है कि इस स्थितिसे हमारे काम में सहायता ही मिलेगी।"
  4. मसविदेपर पानेवालेका नाम नहीं दिया गया है। लेकिन मसविदेके विषय और पोलफके नाम गांधीजीके १३ और २० अगस्त पत्रके उल्लेखसे यह साफ है कि पत्र उन्हींको लिखा गया था; देखिए पृष्ठ ३५५ और ३६२।