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पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको


अगर आप आ सकें तो कृपया अवश्य आयें। अगर आपको फुरसत हो तो कल आइए। हम साथ-साथ शाकाहारी भोजनालय (वेजिटेरियन रेस्तरां) में चलेंगे और बातचीत करेंगे। आपका परिचय रंगूनके डॉ॰ मेहतासे भी कराऊँगा। वे इसी होटलमें ठहरे हुए हैं। हम होटलमें आपकी राह १ बजनेमें ५ मिनट तक देखेंगे।

हृदयसे आपका,

डॉ॰ अब्दुर्रहमान


३८, लांगरिज़ रोड


अर्ल्स कोर्ट, एस॰ डब्ल्यू॰

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति की फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०२४) से।

२२७. पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको

[लन्दन]
अगस्त २४, १९०९

महोदय,

मैं विनयपूर्वक लॉर्ड क्रू का ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि अभी श्री पोलकका, जो फिलहाल भारतमें ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, एक तार मिला है। उसमें कहा गया है कि इसी मासकी ३१ तारीखको भारतीय संघर्षके सम्बन्धमें बम्बईमें एक सार्वजनिक सभा की जायेगी। तारमें यह भी कहा गया है। कि दो भारतीय ट्रान्सवाल सरकार द्वारा निर्वासित किये जानेपर बम्बई पहुँचे हैं। उनमें से एक युद्धके पहलेसे वहाँका निवासी है और उसने पिछली लड़ाईमें सैनिक अधिकारियोंकी सेवा की थी। दूसरा नेटालमें पैदा हुआ था और बादमें ऑरेंज रिवर कालोनीमें बस गया था। इस दूसरे भारतीयके मामलेसे स्पष्ट है कि जो भारतीय दक्षिण आफ्रिकाके दूसरे भागोंके निवासी हैं, वे भी, लॉर्ड महोदयके लार्ड सभामें दिये गये आश्वासनके विरुद्ध, भारतको निर्वासित किये जा रहे हैं।[१]

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स २९१/१४२
  1. इस पत्रकी पहुँच देते हुए २ सितम्बरको उपनिवेश कार्यालयने गांधीजीको सूचित किया था कि इसकी एक प्रति, मन्त्रियोंका ध्यान आकर्षित करनेके लिए, ट्रान्सवाल गवर्नरके पास भेज दी गई है। श्री स्मट्सने २९ सितम्बरके पत्र में इसका जवाब देते हुए देशनिकाला देकर भारत भेजनेकी बातका खण्डन किया और लिखा कि "श्री गांधीने यह उल्लेख नहीं किया है कि यह व्यक्ति (१) ११ अक्तूबर, १८९९ से पूर्व तीन वर्षतक यहाँ रह चुकनेका दावा करता है, या (२) उसके पास उपनिवेशमें प्रवेश करनेका अधिकृत अनुमतिपत्र है अथवा (३) वह ३१ मई, १९०९ को ट्रान्सवालका निवासी था और ठीक उस दिन वहाँ मौजूद था।" उन्होंने यह भी लिखा था कि यदि गांधीजी जिनके सम्बन्ध में शिकायत कर रहे हैं, उनके नाम भी दे दें तो उनके देशनिकालेके मामले की सम्पूर्ण जानकारी दी जा सकेगी।