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२३०. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
अगस्त २६, १९०९

प्रिय हेनरी,

मुझे आपका लम्बा और मनोरंजक पत्र मिला, और कतरनें भी । मुझे हर्ष है कि आपका जो स्वागत हो रहा है उससे आप प्रसन्न हैं। आप जब वहाँ उतरे तब क्या कोई आपको लेनेके लिए आया था?

क्या आप डॉ॰ मेहताके भाईसे मिले हैं? आशा है, आप किसी भी कारण इसमें चूक न करेंगे। वे बहुत ही संकोची स्वभावके व्यक्ति हैं और सम्भव है, उन्हें आपको बम्बईके सब बड़े-बड़े धनी-मानी लोगोंसे घिरा हुआ देखकर आपसे मिलने आनेमें संकोच हुआ हो।

आपने जो कतरनें भेजी हैं वे पढ़नेमें मनोरंजक हैं और उनसे यह सम्भावना प्रकट होती है कि आप बहुत अच्छा और ठोस काम कर सकेंगे। मुझे आपका तार मिल गया है। मैंने उसका यह उत्तर दिया है:[१]

चन्देकी बातमें सर मंचरजीको बहुत दिलचस्पी है। मालूम होता है कि उनके कहने से श्री रिचने यह सुझाव पहले दिया था। सर मंचरजीका विचार है कि यह बात जन-भावनाकी ठोस अभिव्यक्ति होगी, इसलिए इसका प्रभाव बहुत ज्यादा होगा। मंशा यह नहीं है कि हमें आर्थिक सहायता मिले। दरअसल, हमें यह कह सकने योग्य होना चाहिए कि हमारा काम इसके बिना भी चल सकता है; लेकिन इसके पीछे विचार यह है कि हजारों लोग जब चन्दा इकट्ठा करके संघर्ष में भाग लेनेकी इच्छा व्यक्त करेंगे, तो उसमें महत्त्वकी बात यह होगी कि इतने लोगोंने अपना-अपना अंशदान किया। मैं इस सम्बन्धमें अधिक न लिखूँगा, क्योंकि यह पत्र पढ़नेतक आप इस सुझावपर या तो अमल शुरू कर चुके होंगे या इसको रद कर चुके होंगे।[२]

स्मट्स इस सप्ताह दक्षिण आफ्रिकाको रवाना हो रहे हैं, और अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है और न उपनिवेश कार्यालयसे कोई उत्तर ही आया है। इसलिए किसी भी दिन प्रतिकूल उत्तर पानेके लिए तैयार हूँ। लॉर्ड ऍम्टहिलने लॉर्ड क्रू को पत्र लिखा है।

डॉ॰ मेहतासे मेरी और महत्त्वपूर्ण बातचीत हुई है। मेरा खयाल है, अब उनको विश्वास हो गया है कि हमारी योजना ठीक है।

मैं यह मान लेता हूँ कि आप भारतके अन्य भागोंके भी प्रमुख व्यक्तियोंसे पत्र-व्यवहार कर रहे हैं। श्री हाजी हबीब बहुत उत्सुक हैं कि आप उनके भाई श्री हाजी मुहम्मदको

  1. श्री पोलकने ४ सितम्बरके पत्रमें गाधीजीको सूचित किया था कि १४ सितम्बरको सर फीरोजशाह मेहताकी अध्यक्षता में एक सार्वजनिक सभा होनेवाली है। इस सभामें निर्वासितों के लिए चन्दा करनेके सम्बन्ध में एक प्रस्ताव पेश किया जायेगा। उन्होंने १० सितम्बर के अपने पत्र में पुनः लिखा था कि श्री गोखलेकी रायमें यह सुझाव कार्यगर नहीं है, यद्यपि एक प्रस्ताव भले ही पास कर लिया जाये।
  2. यह यहाँ नहीं दिया गया है; पाठके लिए देखिए पिछला शीर्षक।