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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आन्दोलनमें भाग लेने और अपनी सहायता करनेके लिए बुलायें। वे पोरबन्दरमें हैं। उनका पूरा नाम हाजी मुहम्मद हाजी दादा है।

नेटालके मित्रोंने अपना वक्तव्य यहाँके सभी संसद-सदस्यों तथा अखबारोंको और भारतीय अखबारों एवं लोक-नेताओंको भी भेज दिया है। आप नेटालके प्रश्नके सम्बन्धमें जो-कुछ आवश्यक समझें वह कर सकते हैं।

श्री जमशेदजीने[१] पुस्तिकाकी २०,००० प्रतियाँ छपानेका वचन देकर बहुत कृपा की है। यह शानदार काम होगा।

मॉड, डॉ॰ मेहता, हाजी हबीब और मैं रविवारको व्हाइटवे गये थे। हम रातको एक बजेकी गाड़ीसे रवाना हुए और स्ट्राउडमें ३-४० पर पहुँचे। जॉर्ज एलेन स्टेशनपर हमें लेनेके लिए आये थे और हम व्हाइटवे तक पैदल गये। पैदल चलना बड़ा आनन्दमय रहा। आपको भी उसमें रस आया ता। प्रदेश बहुत सुन्दर था। जॉर्ज एलेन तो मानो स्फूर्तिकी मूर्ति हैं। वे बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। मेरा खयाल है कि सामान्यतः वे असंस्कृत समझे जायेंगे। वे जो भी काम करते हैं, बिल्कुल स्वाभाविक ढंगसे करते हैं, और बहुत मुँह-फट हैं। उनकी पत्नीके विचार उनसे नहीं मिलते, फिर भी उनके प्रति उनका अनुराग बहुत गहरा है और यह मुझे उनके स्वभावकी सबसे बड़ी अच्छाई जान पड़ी। उनकी पत्नी स्तनके केन्सरसे पीड़ित हैं और केवल दिन गिन रहीं हैं। उनका चेहरा बड़ा ही मोहक और सरल है। उनके साथ मेरी खासी लम्बी बातचीत हुई। एलेनके चार बच्चे हैं। सबसे बड़ी पुत्री है। वह बहुत हृष्ट-पुष्ट और स्वस्थ लड़की है और उत्तम गृह-व्यवस्थापिका है। वही अपने छोटे भाइयोंकी और प्रायः सारे घरकी देखभाल करती है। एलेन अपने बच्चोंपर कोई नियन्त्रण रखनेमें विश्वास नहीं करते। मुझे लगता है कि वे इस सम्बन्धमें अति कर जाते हैं। बच्चे चाहे जैसे फर्शपर बैठ जाते थे और चाहे जैसे खाते-पीते थे। किन्तु यह तो तफसीलकी बात है। उनके सब बच्चे पूर्ण स्वस्थ थे। व्हाइटवे किसी समय टॉल्स्टॉयवादियोंकी बस्ती थी। उसके निवासी उस आदर्शके अनुरूप नहीं रह सके हैं। कुछ चले गये हैं, कुछ वहीं रह रहे हैं, किन्तु उस आदर्शपर नहीं चल रहे हैं। एलेन ही उस आदर्श के सबसे निकट प्रतीत होते हैं। उनकी जमीनकी हालत बहुत अच्छी है और उसको इस मौजूदा हालतमें वे अकेले और मशीनोंकी मददके बिना लाये हैं। वे केवल सीधे-सादे औजार काममें लाते हैं। उनका धन्धा जूते बनानेका था। डॉ॰ मेहताने इस यात्रामें बहुत रस लिया। वे अत्यन्त अनिच्छापूर्वक आये थे, क्योंकि वे कोई अनावश्यक कष्ट उठानेमें विश्वास नहीं करते। मॉडको भी यहाँ आना बहुत अच्छा लगा। मैंने सोचा था कि वह पैदल लौट सकती है। यह मेरी कठोरता थी। किन्तु श्री हाजी हबीबने इस स्थितिसे मुझे बचा लिया।

डॉ॰ मेहताकी दी हुई १५ पौंडकी रकममें से छात्र जीवन पुस्तकमाला (स्कूल लाइफ सीरीज़) की टॉल्स्टॉय और अन्य लेखकोंकी लिखी कुछ और किताबें फीनिक्सके लिए खरीद ली गई हैं।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०३१) से।

  1. स्पष्ट ही जहाँगीर बोमनजी पेटिटके बदले यह नाम भूलसे दिया गया है; देखिए पा॰ टि॰ १, पृष्ठ ३६१।