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२३१. शिष्टमण्डलकी यात्रा [–९]

[अगस्त २७, १९०९]

यह हफ्ता भी पिछले हफ्तेकी तरह ही बीता है। अभीतक समझौतेका कुछ पता नहीं है। इसके अतिरिक्त यह खबर भी है कि जनरल स्मट्स इस हफ्ते ट्रान्सवालको रवाना हो जायेंगे। इसलिए क्या कहा जाये, यह नहीं सूझता । धोखा होगा, ऐसा तो नहीं दीखता। सर मंचरजीने मुलाकातके लिए जनरल स्मट्सको चिट्ठी लिखी थी। उसका जवाब जनरल स्मट्सने आज २७ अगस्तको दिया है।

जनरल स्मट्सने जवाबमें कहा है कि समझौतेकी बातचीत खानगी तौरपर चल रही है, इसलिए फिलहाल मुलाकात मुल्तवी कर दी है। इसका यह अर्थ माना जाता है कि शायद समझौता हो जायेगा। फिर दूसरी तरफसे यह भी माना जाता है कि इतनी ढील हुई, इससे मालूम होता है कि हमारी माँगोंके स्वीकृत होनेमें कुछ अड़चन भी आई है। इनमें से क्या ठीक यह जान नहीं पड़ता। मैं तो यही कह सकता हूँ कि समझौतेकी बातका परिणाम कुछ भी हो, उससे हमारा सम्बन्ध कम है। जो दुःख सहन करनेके लिए तैयार है उसको क्या भय या चिन्ता? मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि एक-न-एक दिन हमारी माँग मंजूर हुए बिना रह नहीं सकती। इसमें किसी भी सत्याग्रहीको सन्देह होना ही नहीं चाहिए। लॉर्ड ऍम्टहिलको भी ऐसी ही खबर मिली है कि समझौतेकी बातचीत अभी चल ही रही है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २५-९-१९०९

२३२. लन्दन

[ अगस्त २७, १९०९ के बाद ]

नेटालका शिष्टमण्डल

सदस्य शिष्टमण्डलके विवरणको अभीतक जगह-जगह भेज रहे हैं और लोकसेवकोंसे मिल रहे हैं। भारतको बहुत-सी प्रतियाँ भेजी हैं। उनके साथ एक पत्र भी लिखा है। पत्रका[१] सार इस प्रकार है:

भारतसे प्रार्थना

नेटालके भारतीयोंकी स्थितिके सम्बन्धमें हमने उपनिवेश मन्त्री के सामने जो विवरण पेश किया है, उसकी नकल हम आपको भेजते हैं।
  1. इसपर २७ अगस्तकी तारीख पड़ी है।
९-२४