पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/४१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२३४. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[ लन्दन ]
अगस्त ३०, १९०९

लॉर्ड महोदय,

आपको अनावश्यक परेशानीमें न डालनेके उद्देश्यसे मैंने आपके पिछले दो पत्रोंकी प्राप्ति स्वीकार नहीं की है।[१]

क्या मैं आपसे जनरल स्मट्सके उस वक्तव्यपर[२] ध्यान देनेका निवेदन कर सकता हूँ जो उन्होंने भारतीयोंके प्रश्नके सम्बन्धमें कल रायटरके प्रतिनिधिको दिया है? उस वक्तव्यका अर्थ क्या हो सकता है? क्या उसका अर्थ यह है कि जनरल महोदय प्रिटोरिया पहुँचनेके बाद निर्णय करेंगे, और यदि ऐसी बात हो तो हमारा कर्तव्य क्या है?

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०३४) से।

२३५. पत्र: अमीर अलीको

[ लन्दन ]
अगस्त ३०, १९०९

प्रिय श्री अमीर अली,

मुझे आपका पोस्टकार्ड मिला। मैंने आपके आरामके खयालसे जानबूझ कर आपको पत्र नहीं लिखा। यदि कोई महत्त्वकी बात होती तो मैं निश्चय ही पत्र लिखता। इसके अतिरिक्त आपने अपने पोस्टकार्डमें पत्र लिखनेका वादा किया था, उसकी भी मैं प्रतीक्षा कर रहा था। आपका पत्र न मिलनेसे मैंने यह निष्कर्ष निकाला कि आप ज्यादा व्यस्त हैं; इसीलिए पत्र लिख नहीं पाये।

  1. लॉर्ड ऍम्टहिलने अपने २४ अगस्तके पत्र में कहा था कि उनके सुझावोंका जवाब दिये बिना जनरल स्मट्सके अचानक दक्षिण आफ्रिका रवाना हो जानेसे वे स्तम्भित रह गये हैं। उन्होंने टाइम्सके उस अग्रलेखका भी जिक्र किया जिसमें यह "साफ संकेत किया गया था कि ब्रिटिश भारतीयोंके सवालपर कोई समझौता हो जायेगा।" वे लॉर्ड क्रूको फिर पत्र लिखना चाहते थे। यह पत्र उन्होंने लिखा भी था। अपने २६ अगस्तके पत्र में उन्होंने लॉर्ड क्रू के इस उत्तरका उल्लेख किया था कि "बातचीत अभी चल ही रही है, इसलिए अब भी कोई फैसला होने की आशा है।" लॉर्ड ऍम्टहिलने पहले यह सवाल लॉर्ड सभा में उठानेका इरादा किया था, किन्तु उपर्युक्त कारणसे उठाया नहीं। उन्होंने आगे लिखा था: ऐसी कोई बात हमने उठा नहीं रखी जिसे करना लाभदायक हो। अभी हमें धीरजके साथ प्रतीक्षा ही करनी होगी।"
  2. देखिए अगला शीर्षक।