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पत्र : एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको


श्रीमान् का खयाल था कि शायद लॉर्ड क्रू कुछ लिखेंगे; परन्तु उन्होंने अभीतक कुछ नहीं लिखा। मैं उनका ध्यान चीनियोंके तारकी ओर आकृष्ट कर रहा हूँ।[१]

शायद मुझे इस बातका भी उल्लेख कर देना चाहिए कि मैंने कल आपको बम्बई सरकारकी जिस कार्रवाईके बारेमें लिखा था[२] उसपर संसद सदस्योंको कुछ प्रश्न पूछनेका सुझाव दिया गया है। आशा है, आपको भी यह बात पसन्द आयेगी ।[३]

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०४४) से।

२४३. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
सितम्बर २, १९०९

प्रिय हेनरी,

मैं आपको इस सप्ताह सम्भवतः दो पत्र लिखूँगा। ये पत्र फीनिक्सके सम्बन्धमें हैं।

आपको पहले ही बता चुका हूँ कि डॉक्टर मेहतासे मेरी काफी बातें हुई थीं और उन्होंने स्कूलके लिए १५ पौंड दिये हैं। मैंने इन १५ पौंडमें से पुस्तकालयके लिए कुछ पुस्तकें खरीदी हैं; सूची आपके पास है ही। कुछ अन्य पुस्तकें भी खरीदी गई हैं। लगभग १२ पौंड फिर भी बचे हैं। कुछ कामकी किताबें वहाँ भी हो सकती हैं, जो बाकी रुपयेसे खरीदी जा सकती हैं। आप छगनलाल और दूसरोंसे सलाह कर सकते हैं।

परन्तु डॉक्टर मेहताने और भी अधिक देनेका वचन दिया है। उनका विचार एक छात्रवृत्ति देनेका है जिससे एक भारतीय लड़केका फीनिक्समें शिक्षा और भोजनका व्यय पूरा हो जाये। मैंने उनको बता दिया है कि व्यय प्रतिमास २० शिलिंग और २५ शिलिंगके बीच कुछ भी हो सकता है। उन्होंने एक फीनिक्सवासीको इंग्लैंडमें पढ़नेका व्यय भी मुझे दिया है। यह बात उनके मनमें उनकी इस इच्छासे पैदा हुई है कि वे मेरे एक पुत्रकी पढ़ाईका जिम्मा ले लें। मैंने उनको बताया कि मैं ऐसी कोई बात स्वीकार नहीं कर सकता

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. इस सम्बन्ध में एक प्रश्न जेम्स ओ'ग्रैडीने ७ सितम्बरको लोकसभा में पूछा था। सर हेनरीने इसी विषयमें ९ सितम्बरको लोकसभामें दूसरा प्रश्न पूछा। दोनों अवसरोंपर विदेश-उपमन्त्रीने उत्तर दिया कि साम्राज्य-सरकारको इस मामले में कोई अधिकृत सूचना नहीं मिली है।
  3. दूसरे दिन इस पत्रकी पहुँच देते हुए लॉर्ड ऍम्टहिलने लिखा था: "आपके इंग्लैंड आनेपर मैंने जो विचार व्यक्त किया था, आपका विचार उससे मेल खाता हुआ है। मैंने कहा था कि ट्रान्सवालमें प्रतिरोध और दमनके जारी रहनेसे हमारी बातचीत में मदद मिलती है। मेरा खयाल है कि यदि ब्रिटिश भारतीय संघको यह सूचित कर दें तो अच्छा हो कि अभी आपको किसी तरहके समझौतेके बारे में कुछ नहीं मालूम और आप लॉर्ड क्रू से एक दूसरी भेंट देनेका आग्रह कर रहे हैं। मैंने कल रात आपको एक पत्र में लिखा है कि अगर अबतक आपको लॉर्ड क्रू से उत्तर नहीं मिला हो तो आप ऐसा ही करें। कृपया मुझे बतायें कि लोकसभा में इस विषयपर पूछे गये प्रश्नोंके क्या उत्तर दिये गये हैं। आप जानते ही हैं कि अखबार इन्हें नहीं छापते।"