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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं आपको भेज रहा हूँ। लेकिन अब ऐसा जान पड़ता है कि वे इतना ही करना चाहते हैं कि अधिनियमको वापस ले लें और शिक्षित भारतीयोंको एक सीमित संख्यामें निवासके स्थायी प्रमाणपत्र दे दें। इस तरह वे प्रवेशके "अधिकार" को स्वीकार करना नहीं चाहते। यदि वे ऐसा करें और इसकी सार्वजनिक रूपसे घोषणा कर दें तो मुझे हर्ष ही होगा। विवादका क्षेत्र फिर संकुचित हो जायेगा और एकमात्र प्रश्न शिक्षित भारतीयोंके दर्जे और भारतके आत्मसम्मानका रह जायेगा। तब हम इंग्लैंड और भारतके सामने एक स्पष्ट प्रस्ताव रखेंगे और ट्रान्सवालके भारतीयोंसे भी कहेंगे कि जबतक यह मुद्दा तय न हो जाये तबतक वे संघर्ष जारी रखें। आप लॉर्ड ऍम्टहिलको लिखे मेरे पत्रसे देखेंगे कि इस सम्बन्धमें मेरा दृष्टिकोण क्या है। मुझे तो ऐसा लगता है कि दक्षिण आफ्रिका लौटनेसे पहले हम भारत आ जायें और फिर दुबारा लंदन होकर लौटें। मैं जानता हूँ कि यदि जनरल स्मट्स लॉर्ड ऍम्टहिलके पत्रके अनुसार सार्वजनिक घोषणा करेंगे तो यहाँका संघर्ष अत्यन्त कठिन हो जायेगा। परन्तु इससे मैं निराश नहीं होता, यद्यपि मुझे इसमें बड़ा सन्देह है कि जबतक और अधिक कष्ट न उठाया जाये तबतक सार्वजनिक सभाएँ हो सकें तो उनसे और संसद-सदस्योंका समर्थन मांगनेसे कोई लाभ होगा। किसी ऐसे आन्दोलनको चलानेकी अपेक्षा, जो व्यर्थ-सा सिद्ध हो, मैं जेलमें रहना अधिक पसन्द करता हूँ। इससे बचनेकी इच्छाके पीछे थोड़ा आलस्य भी हो सकता है, परन्तु मुझे लगता है कि ऐसा है नहीं। जहाँ आवश्यक हो, वहाँ मुझे लोगोंसे मिलना पड़े और सभाओं में भाषण देने पड़ें तो मैं इससे बचना नहीं चाहता। किन्तु जब-कभी मुझे शान्तिका एक क्षण मिलता है, मैं लगातार अपने मनमें सोचता रहता हूँ कि क्या लोगोंको समझाने-बुझाने के लिए मेरा यहीं बना रहना ठीक होगा।

जहाँ-कहीं आपकी सभा हो, मुझे आशा है कि आप उसमें श्री आर्म्सट्रांग और अन्य आंग्ल-भारतीयोंको बुलानेमें सफल होंगे। मुझे आशा है, आप गुजराती और अंग्रेजीकी कतरनें जोहानिसबर्ग भी भेज रहे होंगे। वहाँके लोगोंको निराशासे बचाने के उद्देश्यसे, दुहरी सावधानीके रूपमें, मैं आपसे प्राप्त कतरनें उन्हें भेजता जाता हूँ।

मैं आपका तारोंका उत्तर तुरन्त न दूँ तो आप इसका कोई खयाल न करें। आप मुझसे जितनी जल्दी उत्तरकी आशा करते हैं उतनी जल्दी उत्तर न मिले तो कृपया समझ लें कि मेरे उत्तर न देनेका पर्याप्त कारण है। उदाहरणके लिए, आपने मुझसे पूछा है कि क्या कोई आशा है। मैं इसका उत्तर देनेमें विलम्ब कर रहा हूँ, क्योंकि मैं लॉर्ड क्रू बुलावेकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। तब मैं आपको कुछ निश्चित रूपसे बता सकूँगा कि कोई आशा है या नहीं। इस समय तो मुझे कहना चाहिए कि कोई आशा नहीं है।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई अंग्रेजी दफ्तरी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०४९) से।