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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


यदि आप इस पत्रको लॉर्ड महोदयके सामने उपस्थित करेंगे और हमें सूचित करेंगे कि हमारी उपस्थितिकी आवश्यकता कब पड़ेगी तो मैं और मेरे साथी कृतज्ञ होंगे।[१]

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, २९१/१४२; तथा टाइपकी हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०५३) से भी।

२४८. पत्र: अमीर अलीको

[लन्दन]
सितम्बर ६, १९०९

आपने मेरे पत्रका[२] उत्तर तत्काल दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ।

मुझे हर्ष है कि महाविभव (हिज हाईनेस) आगाखाने श्री आँगलियाका पत्र आपको भेज दिया है।

हम सब आपके मार्गदर्शन और परामर्शका लाभ प्राप्त करनेके लिए आपके लौटनेकी प्रतीक्षा करते रहेंगे। मैं आपसे पूर्णतया सहमत हूँ कि भारतमें मुसलमानों और हिन्दुओंमें चाहे जो भी मतभेद हों, दक्षिण आफ्रिकी शिकायतोंके इस मामलेमें कोई मतभेद नहीं हो सकता।[३] वास्तवमें मेरा जीवन यह सिद्ध करनेके लिए अर्पित है कि दोनोंके बीच सहयोग होना भारतीय स्वतन्त्रताकी अनिवार्य शर्त है।

बम्बई सरकारने शेरिफको अपनी सार्वजनिक सभा-सम्बन्धी सूचना वापस लेनेका जो निर्देश दिया था, उसके लिए उसने अब क्षमा याचना की है। अब यह सभा ११ तारीखको करनेकी सूचना फिर निकाली गई है।

ट्रान्सवालके मामलों में बातचीत प्रगति कर रही है, यद्यपि गति मन्द है।

हम सबका अभिवादन।

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०५५) से।

  1. इस पत्रके संदर्भ में उपनिवेश कार्यालयको ८ सितम्बरकी कार्यवाही में लिखा गया था: "उपनिवेश-मन्त्रीको भी गांधी और उनके साथीसे मिलकर और मोटे तौरपर श्री स्मट्सके प्रस्तावकी व्याप्ति बता देना चाहिए। यदि वे अपनी माँगोंको कम करनेके लिए राजी न हों तो शायद ट्रान्सवाल-सरकार इस वर्ष कानून में संशोधन करनेके लिए और भी कम तैयार होगी। किन्तु यदि भारत-मन्त्रालय समझौतेको स्वीकार कर ले तो श्री गांधीका खयाल किये बिना ही ट्रान्सवाल सरकारपर वैसा करनेके लिए दबाव डालना नीति-कुशलता होगी।" गांधीजी और हाजी छबीबको १६ सितम्बरको लॉर्ड क्रू से मिलनेका समय दिया गया था।
  2. इस पत्रपर अगस्त ३० की तारीख पड़ी थी। देखिए "पत्र: अमीर अलीको", पृष्ठ ३७४-७५।
  3. अमीर अलीने लिखा था: "...हम अपने उन देशवासियोंके लिए जो दक्षिण आफ्रिकामें रहने को हैं, न्याय प्राप्त करनेके हेतु एक साथ काम कर सकते हैं और हमें ऐसा करना भी चाहिए। मैं नहीं सोचता कि इस उद्देश्यकी पूर्तिके लिए संवैधानिक सहयोगकी योजना बनाने में कोई कठिनाई होगी।"