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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको


श्री गोखलेके स्वास्थ्यके समाचारसे मुझे बहुत दुःख हुआ है। उनको क्या तकलीफ है? उनका डॉक्टर निराश हो गया है, अथवा उसका अभिप्राय यह है कि वे जलवायु परिवर्तनके लिए कहीं चले जायें?[१]

मैं यह जानना चाहता हूँ कि बड़े पादशाहके सम्बन्ध में आपका खयाल क्या है और यह बड़े पादशाहकी बात है या छोटेकी। दोनों प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, किन्तु मैं सदासे सुनता आया हूँ कि बड़े पादशाह साधुचरित्र पुरुष हैं। छोटे पादशाहको मैं अच्छी तरह जानता हूँ। वे मेरे साथ पढ़ते थे। वे इस खयालको पसन्द नहीं करते, या यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि मैं जब बम्बईमें था, तब कतई पसन्द नहीं करते थे, कि भारतीय विदेशोंमें जायें, और वे...[२] अगर वे हमारे [संघर्ष] में दिलचस्पी लेनेके लिए.. [३]

डॉक्टरीकी अहिंसक परीक्षा देनेके पक्षमें डॉक्टरीके कौन-से विद्यार्थी हैं? इसमें मुझे कुछ दिलचस्पी है, क्योंकि यहाँ मुझसे कहा गया है कि जीवोंको नष्ट किये बिना डॉक्टरीका अध्ययन बिलकुल असम्भव है। श्री गुलने मुझे बताया है कि उन्होंने[४] अपने अध्ययन-कालमें कमसे-कम ५० मेंढक अवश्य मारे होंगे। वे कहते हैं कि इसके बिना शरीर-विज्ञानकी परीक्षा सम्भव नहीं है। ऐसी बात है तो [यदि मुझे खुद पढ़नी हो] मैं डॉक्टरी बिलकुल पढ़ना न चाहूँगा। मैं न तो मेंढकको मारना चाहूँगा और न खास तौरसे चीरफाड़के लिए मारे गये मेंढकको चीरफाड़के काम में लाना चाहूँगा।

मुझे आशा है, आपने वहाँके मित्रोंको स्पष्ट बता दिया होगा कि हमने अपने प्रचारको यदि ट्रान्सवाल-सम्बन्धी दो माँगों तक ही सीमित रखा है, तो उसका यह अर्थ नहीं है कि अवसर आनेपर हम अन्य बातके लिए नहीं लड़ेंगे। इस समय केवल दो बातोंकी विशेष रूपसे चर्चा की जा रही है, तो उसका कारण यह है कि अनाक्रामक प्रतिरोधका प्रयोग केवल उन्हींके लिए किया गया है; और इसलिए सबसे अधिक ध्यान उन्हींपर दिया जाता है और दिया जाना भी चाहिए। मैं इस प्रश्नका उल्लेख इसलिए कर रहा हूँ कि इसके सम्बन्धमें लॉर्ड मॉर्ले और लॉर्ड क्रू से बातचीत हो चुकी है। लॉर्ड क्रू ने पूछा था कि दूसरी बातोंके मामले में हम क्या करना चाहते हैं। मैंने उनसे कहा था कि हम ट्रान्सवालमें अभीष्ट सुधार करानेके उद्देश्य से कार्य करेंगे। और मैंने यह संकेत भी दिया था कि सुधारों के सम्बन्धमें भी अनाक्रामक प्रतिरोधका आश्रय लिया जा सकता है। सर मंचरजी यह वक्तव्य देनेपर बहुत जोर देते हैं, क्योंकि उनका खयाल है कि अन्यथा वहाँके लोग शायद भविष्यमें काम न करें और सोचें कि उन्होंने वर्तमान समस्याको सुलझानेमें हमारी सहायता करके अपने कर्तव्यका पालन कर दिया है।

मैं देखता हूँ, आपने अपने पत्रमें कहा है कि संघ विधेयकके [पास होनेसे] हमारी स्थिति कुछ ज्यादा...[५] हो जाती है। लेकिन मेरा खयाल ऐसा नहीं है, क्योंकि खुद संघ

  1. पोलकने लिखा था "श्री गोखके अत्यधिक कामके भारसे दबे जा रहे हैं। उनके डॉक्टर उनकी हालत से बहुत निराश हैं।"
  2. यहाँ मूलमें कुछ शब्द गायब हैं।
  3. यहाँ मूलमें कुछ शब्द गायब हैं।
  4. यहाँ मूलमें "आपने" शब्द है।
  5. यहाँ कुछ शब्द गायब हैं। पोलकने लिखा था "संघ-कानूनके पास हो जानेसे आपका काम बहुत कठिन हो गया है। अब आपके पास एक शस्त्र और कम हो गया है।"