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२५९. शिष्टमण्डलकी यात्रा [–११]

[ सितम्बर ११, १९०९ से पूर्व ]

हम जहाँ थे वहींके वहीं हैं—मुझे इस सप्ताह भी यही कहना पड़ रहा है। लॉर्ड क्रू का निमन्त्रण अभी नहीं आया है। यह नहीं कहा जा सकता कि आयेगा भी या नहीं, और आयेगा तो कब आयेगा। उनको कागज-पत्र भेजे गये हैं। जोहानिसबर्गसे यह तार मिला है कि अदालतमें बयान देते हुए पुलिस सुपरिंटेंडेंट वरनॉनने कहा कि एशियाइयोंको निकाल बाहर करना प्रत्येक यूरोपीयका कर्तव्य है। खबर है कि इसपर न्यायाधीशने कड़ी आलोचना की और 'स्टार' तथा 'ट्रान्सवाल लीडर' ने कड़ी टिप्पणियाँ लिखीं। इस सम्बन्धमें लॉर्ड क्रू को तुरन्त पत्र लिख दिया गया है। इस प्रकार जो-जो अन्याय होता है उससे हमको सहायता मिलनेवाली है। ट्रान्सवालका सवाल [साम्राज्य-] सरकारके लिए एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है। अब वह यह सोच रही है कि क्या करे। ऐसी स्थितिमें हमारे ऊपर ज्यों-ज्यों ज्यादा कष्ट आते जाते हैं त्यों-त्यों [साम्राज्य-] सरकारपर ज्यादा बोझ पड़ता जाता है। श्री क्विनका तार मिला है कि चीनी अब भी गिरफ्तार किये जा रहे हैं, जबकि जनरल स्मट्स कहते हैं कि समझौता हो जानेकी सम्भावना है। श्री क्विन सवाल करते हैं कि यह कैसे हो सकता है। जनरल स्मट्सके मनमें समझौतेका जो रूप है उसके बारेमें मैं गत सप्ताह लिख चुका हूँ। हमारे लिए उतना काफी नहीं है, यह बात स्पष्ट है। इसलिए अभी पकड़ा-पकड़ी तो चलती ही रहेगी। यह जरूरी है कि भारतीय और चीनी सभी दृढ़ रहें। जनरल स्मट्स कहते हैं कि भारतीयोंका बल टूट चुका है और बहुतोंने कानून मान लिया है। यह आरोप असत्य है, यह बताना हमारे ऊपर है।

बम्बईकी सार्वजनिक सभा, जिस दिन यह पत्र डाकमें डाला जायेगा, उस दिन होगी ।[१] यह ठीक हुआ कि बम्बई सरकारने आखिर माफी माँग ली और फिर सभा करनेकी सूचना निकालने दी। उसकी खबर तो वहाँ मिल ही जायेगी।

श्री पोलककी चिट्ठीसे मालूम होता है कि दोनों शिष्टमण्डलोंका खर्च बम्बईसे देनेकी हलचल चल रही है। पैसेकी जरूरत हमें भले ही न हो, किन्तु इस तरहकी हलचल जातीय सहानुभूतिकी सूचक है और उसका बल तो हमें निश्चय ही चाहिए।

अपनी लड़ाईके सम्बन्धमें केपके भूतपूर्व मन्त्री श्री सॉल सॉलोमनकी पत्नी और स्वर्गीय सर जॉन मॉल्टेनोकी पुत्रीके साथ हमारी बहुत बातें हुई हैं। यद्यपि ये दोनों महिलाएँ दक्षिण आफ्रिकाकी हैं, फिर भी हमसे [हमारे संघर्षमें] बहुत ही सहानुभूति रखती हैं और हमारी सहायता करनेकी हिम्मत रखती हैं। इस सम्बन्ध में मैं ज्यादा नहीं लिख सकता। कुमारी मॉल्टेनो शायद जल्दी ही दक्षिण आफ्रिका पहुँचेंगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ९-१०-१९०९
  1. गांधीजीका खयाल था कि यह सभा ११ सितम्बर को होगी; देखिए "शिष्टमण्डलकी यात्रा [-१०]", पृष्ठ ३८७।