पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/४४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४१०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करनेकी रजामन्दी दिखाकर उचित सीमासे ज्यादा आगे बढ़ गये हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामलेसे भारतमें बहुत क्षोभ फैल रहा है।

गांधी: हमें जो-कुछ यहाँ हो रहा है उसके सम्बन्धमें स्वभावतः ही तार देना पड़ा। और श्री पोलकका जो पत्र मिला है उससे पता चलता है कि भारतमें प्रजातीय अपमानपर तीव्र रोष प्रकट किया जा रहा है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि केवल ट्रान्सवालके भारतीय ही विरोध कर रहे हैं।

लॉर्ड क्रू: मैं बिलकुल सहमत हूँ और आप जो-कुछ कह रहे हैं, उसकी उपयुक्तता मेरी समझमें आती है। चूँकि मैं ट्रान्सवालके स्थानीय भारतीयोंकी माँगका औचित्य तीव्रतासे अनुभव करता हूँ, इसलिए मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, मैंने इस प्रश्नको जनरल स्मट्सके सम्मुख साम्राज्यके प्रश्नके रूपमें रखा था। मैं स्वयं इस बातके लिए बहुत उत्सुक हूँ कि जैसे भी हो, समझौता हो जाये; किन्तु मुझे ऐसा लगता है कि हो सकता है, जनरल स्मट्स यह भी सोचें कि यदि सैद्धान्तिक समानता कायम रखी गयी तो उसका उपयोग माँगोंको बढ़ानेके लिए नये आन्दोलनके रूपमें किया जा सकता है। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि उन्होंने मुझसे ऐसी कोई बात कही है।

गांधी: मैं इस प्रकारकी किसी आशंकाके उत्तरमें इतना ही कह सकता हूँ कि ट्रान्सवालके मन्त्री जब यह समझें कि हम अपने वचनसे हट रहे हैं तब वे अधिक प्रतिबन्धकारी कानून बना सकते हैं। साथ ही मेरा कदापि यह कहना भी नहीं है कि यदि हमारी माँगे मंजूर कर ली जायें तो केवल उसीसे ट्रान्सवालमें तमाम आन्दोलन बन्द हो जायेगा। हम जो कठिनाइयाँ झेल रहे हैं, वे कुछ विशेष प्रकारकी हैं, और उनको दूर करानेके लिए नये प्रयत्न आवश्यक हो सकते हैं।

लॉर्ड क्रू: बिलकुल सही। ऐसे मामलोंमें कोई अन्तिम बात नहीं हो सकती। मैं इतना ही कहता हूँ कि यदि प्रश्न आपकी दृष्टिसे सन्तोषजनक रूपमें तय हो जाये तो कमसे-कम कुछ वर्षों तक तो चैनकी सांस लेनी चाहिए।

गांधी: मैं एक कदम और आगे जानेके लिए तैयार हूँ। जब मैंने नये आन्दोलनकी बात कही थी तब शिक्षित भारतीयोंके दर्जेके प्रश्नसे भिन्न कठिनाइयोंका जिक्र किया था। जहाँतक प्रवासके प्रश्नका सम्बन्ध है, हम एक लिखित वचन देनेके लिए तैयार हैं कि हमारी माँग पूरी हो जाये तो हम आगे कोई आन्दोलन न उठायेंगे। मैं यहांतक कहता हूँ कि यदि कोई ऐसा अनुचित आन्दोलन होगा तो जैसा मैंने समझौतेके बाद किया था उसी तरह अपने ही देशवासियोंके विरुद्ध सत्याग्रह करनेको तैयार रहूँगा।

लॉर्ड क्रू: हाँ, मेरा खयाल है कि यह बिलकुल ठीक है; और अब मैं जनरल स्मट्सको इस मुलाकातकी सब बातें बता दूँगा। और मुझे आशा तो है कि कोई समझौता हो जायेगा; लेकिन आपको अधिक आशा नहीं बँधाऊँगा। जनरल स्मट्सको आपका प्रस्ताव स्वीकार करनेमें कठिनाई हो सकती है। यदि उनको कठिनाई होती है तो क्या संघ-संसद (यूनियन पार्लियामेंट) की प्रतीक्षा कर लेना भी अच्छा न होगा?

गांधी: क्या मैं स्थितिको थोड़ा और साफ कर सकता हूँ? इस बीच अनाक्रामक प्रतिरोध जारी रखना पड़ेगा, और इससे कष्टकी अवधि छः मास तक और बढ़ जायेगी। और यदि दक्षिण आफ्रिकी कानूनमें आपके कथनानुसार पेश किये गये संशोधनको मैंने