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२६६. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
सितम्बर १६, १९०९

प्रिय हेनरी,

मैं नहीं समझता कि आपको वेस्ट और उनकी बीमारीकी खबर अबतक फीनिक्ससे मिली होगी। वेस्टको भयंकर निमोनिया हो गया था। उनकी हालत ऐसी थी कि एक बार तो लोग उनके बचनेकी आशा भी छोड़ बैठे थे। कुमारी वेस्ट भी टायफाइडसे पीड़ित थीं।[१] उन दोनोंकी देखभाल डॉ॰ नानजीने की। यह समाचार बहुत चिन्ताजनक था। लेकिन मणिलालने मुझे लिखा है कि अगर यह चिट्ठी मेरे पास पहुँचने तक वे दोनों अच्छे न हुए तो मेरे पास तार पहुँच जायेगा। चूंकि मुझे तार नहीं मिला है, इसलिए मैं यह माने लेता हूँ कि वे दोनों अब बिलकुल ठीक हो गये हैं। लेकिन इन बीमारियोंसे प्रकट होता है कि फीनिक्सके इन्तजाममें कुछ गड़बड़ी है। मैं एक लम्बी चिट्ठी[२] लिखकर वेस्ट और कॉर्डिजसे इस मामलेमें पूरी छानबीन करनेको कह रहा हूँ। कैलेनबैककी चिट्ठी मिली है, उससे मालूम होता है कि वे अभी डर्बनमें ही हैं। मैं देखता हूँ कि छगनलाल और मणिलालने वेस्टकी सार-सँभाल बहुत प्रेमसे की है। रातमें दोनों बारी-बारीसे उनकी देख-भालके लिए जागे हैं। कैलेनबैकने मणिलालकी सेवाकी बहुत सराहना की है। इस सबसे यही प्रकट होता है कि फीनिक्सके रहन-सहनसे उसके निवासियोंमें निश्चय ही सर्वोत्तम गुणों-का विकास हुआ है। स्वाभाविक ही है कि इन हालतोंमें छगनलालने अपनी रवानगी स्थगित कर दी। उसने मुझे लिखा है कि वह जबतक चिट्ठी न दे तबतक उसे मैं भारतके पतेपर नहीं, फीनिक्सके पतेपर ही पत्र लिखूँ। मुझे इस बातका खेद है कि अभी आपको विश्वस्त और टिक रहने वाले सेक्रेटरीके बिना रहना पड़ेगा। फिर भी छगनलालने बेशक ठीक किया है।

मुझे आपका तार मिल गया एक बहुत अच्छा तार 'टाइम्स' में भी छपा है। मैं आपको उसकी नकल भेज रहा हूँ। साफ है कि आपकी सभा[३] बहुत सफल हुई। आपने हद कर दी है। मुझे आपसे यही आशा थी। सभा लॉर्ड क्रू के दिये हुए समयसे पहले हुई। मैं यह पत्र उनसे मिलनेसे पहले लिखा रहा हूँ। आज गुरुवार है। हम उनसे सवा तीन बजे मिल रहे हैं। इसलिए मैं तुम्हें भेंटका पूरा हाल भेज सकूँगा। मुझे खुशी है कि कमसे-कम कुछ चन्दा तो हो ही जायेगा। उससे ट्रान्सवालकी लड़ाईके लिए लोगोंको शक्ति मिलेगी। मुझे विश्वास है कि आपने हर जहाजको देखने और निर्वासित भारतीयोंको

  1. अक्तूबर ७ को मद्राससे पोलकने लिखा था: "मुझे फीनिक्सफी मुसीबतोंका समाचार मिल गया है। कॉडिजने उनका सजीव वर्णन किया है।"
  2. यह उपलब्ध नहीं है।
  3. बम्बई में हुई सार्वजनिक सभा।