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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

लिवा लानेकी व्यवस्था कर दी होगी। मुझे यह भी आशा है कि मनजीके[१] पुत्र और दूसरे लोग मिल गये होंगे। ये लोग आपके उतरनेसे पहले भारत पहुँच चुके थे। अगर उन सबका पता न लगा हो तो आप काठियावाड़ और सूरतमें किसीसे चिट्ठी-पत्री करके निर्वासितोंके नाम और हाल-चाल मालूम कर लेना।

अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके श्री अली इमाम यहाँ हैं। मैं अभी उनसे नहीं मिला हूँ। लेकिन हमारे नेटालके मित्र मिल चुके हैं। वे उनकी बहुत प्रशंसा करते हैं। वे शायद आपके वहाँ रहते ही लौट जायेंगे। वे पटनायें बैरिस्टरी करते हैं। आशा है, आप उनसे मिल लोगे। जरूरत हो तो पटना और अलीगढ़ भी जाना।

यद्यपि संयुक्त कार्रवाई की जा सकती है, फिर भी अंजुमनोंसे अलग-अलग कार्रवाई भी कराई जाये। इस बातपर जोर दिया जाये कि दक्षिण आफ्रिका में मुसलमानोंके स्वार्थ बहुत ज्यादा हैं।[२]

मैंने जो नवीनतम संशोधन सुझाया है उसका आपने बहुत ठीक अर्थ लगाया है। मैं स्वयं इससे ज्यादा साफ नहीं बता सकता था। पुरस्कार वितरण समारोहका जो हाल आपने लिखा है वह बहुत मनोरंजक है। आप इस परीक्षामें से निकल गये, यह अच्छा हुआ। गुजरातीके अखबारोंने, खास तौरसे एकने, लिखा है कि आपने मुझे कवि बताया है। कल्याणदाससे कह दें कि वह मुझे पत्र अवश्य लिखे।

मिली माताजीके साथ वेस्टक्लिफ गई हैं; वे अगले मंगलको लौटेंगी। मेरे खयालमें आपको वाल्डोके बारेमें तनिक भी चिन्ता करनेकी जरूरत नहीं है। मैंने इस मामलेको इतना गम्भीर नहीं समझा कि इसके लिए डॉक्टरकी सलाह लेनेकी जरूरत हो। मुझे बच्चोंके शरीरको दवाओंका घर बनानेसे नफरत है। लेकिन डॉ॰ मेहता यहाँ जल्दी ही आ रहे हैं। अगर उनके पास औजार न होंगे तो मँगा लूंगा और उनसे वाल्डोको दिखवा लूँगा। मेरा खयाल है, डॉक्टर मेहताकी योग्यताके बारेमें मैं आपको बता चुका हूँ। वे बहुत ही योग्य हैं। कुछ भी हो, वे मुझे ठीक-ठीक बता देंगे कि क्या खराबी है। वे उचित समझेंगे तो नुस्खा भी लिख देंगे। उसे हम जरूरत होनेपर काममें ला सकते हैं। मैं इतना दिन सीलिया और एमीको वेस्टक्लिफ भेजनेका विचार कर रहा हूँ; वहाँसे वे उसी दिन लौट आयेंगी। मिली और मैं पिछले इतवारको श्रीमती रिचको देखने गये थे। सैलीने मुझे होटलसे क्रिकिलवुड तक घुमाया। इसमें आराम-आरामसे एक घंटा चालीस मिनिट लगे। इससे मैंने सैलीको कुछ ज्यादा पहचाना। इस बारेमें ज्यादा बातें मिलनेपर करेंगे। श्रीमती रिचकी हालत धीरे-धीरे ही सुधर रही है। मेरी रायमें रिचके सम्बन्धमें क्या किया जाना चाहिए, यह आप पिछले हफ्ते कैलेनबैकको भेजे मेरे पत्रकी[३] नकलसे देख लेंगे। मेरे खयालसे हमें ऐसी कमेटीकी जरूरत नहीं है कि जिसके लिए हर साल ५०० पौंड खर्च करने पड़ें। अगर कमजोर लोगोंको उसकी जरूरत है तो वे उसे रखें। मेरे दिमागमें एक योजना घूम रही

  1. एक सत्याग्रही मनजी नाथूभाई घेलानी ।
  2. अपने उत्तर में पोलकने गांधीजीको लिखा था: " अंजुमन स्वतन्त्र रूपसे भी कार्यवाही कर रही हैं। मैं भी मुसलमानोंके कष्टों और उनके हितोंपर ज्यादा जोर देता रहा हूँ। अंजुमनने वाइसरॉयसे ट्रान्सवालकी जेलों में होनेवाले अत्याचारों और रमजानके विषयमें भी विरोध किया।"
  3. यह उपलब्ध नहीं है।