पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/४५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४१५
पत्र: एच॰ एस॰ एल पोलकको

होगा। मैंने स्वयं जो-कुछ देखा है, उसके आधारपर मैं इसपर पूरा विश्वास करता हूँ। वैसे ही कारणसे एक वतनी कैदीकी करीब-करीब जान ले ली गई थी। उसके शरीरसे इतना ज्यादा खून बहा था कि मैंने तमाम गलियारेमें उसके खूनके निशान देखे थे। मेरी समझमें नहीं आता कि वह लड़का कैसे बचा होगा।

एक दिन कड़ाके की सर्वोमें लोगोंको नहानेका हुक्म दिया गया। एक आदमी नहाना नहीं चाहता था। इसलिए चार वतनी वार्डरोंसे कहा गया कि वे उसको रगड़ें। इसके अनुसार उन्होंने उस आदमीको पकड़कर हौजमें डुबा दिया और एक ब्रुशसे इतने जोरसे रगड़ना शुरू किया कि उसके शरीरसे खून निकलने लगा। संयोगसे उस समय वहाँसे अस्पतालका एक अर्दली जा रहा था। उसने वर्तनियोंको रोका और वह व्यक्ति अस्पताल ले जाया गया। वहाँ उसका इलाज कराया गया। यह बरताव के॰ के॰ सामीके साथ किया गया था, लेकिन चूँकि इस समाचारको सरकारी रूपसे पुष्टि नहीं हुई है; इसलिए स्वभावतः हम इसके सम्बन्धमें कार्रवाई नहीं कर सकते। मुझे मालूम हुआ है कि उस व्यक्तिने इस बारेमें जेलके गवर्नरसे शिकायत की थी।

मैंने आपकी पुस्तिकाओंको पर्याप्त सावधानीसे पढ़ लिया है। मैं आपको उनके सम्बन्धमें लिखना चाहता हूँ; लेकिन लगता है, इस सप्ताह नहीं लिख सकूँगा।

जैसा हमने जोहानिसबर्ग में किया था,[१] मैं "अनाक्रामक प्रतिरोध" की नैतिकतापर सर्वोत्तम निबन्धकी विज्ञप्ति देनेका गम्भीरतासे विचार कर रहा हूँ। लेकिन मुझे इस मामले में डॉ॰ मेहतासे सलाह करनी है। अगर वे पुरस्कार देंगे तो हम विज्ञप्ति दे देंगे। लेकिन हम ऐसा तभी करेंगे जब लॉर्ड क्रू से बातचीत असफल हो जायेगी।

श्री डोककी पुस्तक अभीतक प्रकाशित नहीं हुई है; अक्तूबरके प्रथम सप्ताह में प्रकाशित होनेकी सम्भावना है। मैं कुछ कारणोंसे, जिन्हें इस सप्ताह बतानेकी आवश्यकता नहीं है, किताबका पूरा संस्करण खरीद लेनेकी बात सोच रहा हूँ; और इसमें मुझे और किसी बातसे श्री डोकका ही खयाल ज्यादा है। वे सर्वथा असफल हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो उन्हें बहुत दुःख होगा। प्रकाशकने इसपर पूरा ध्यान नहीं दिया है, और चूँकि इसकी बहुत-सी प्रतियाँ मुफ्त बाँटनी होंगी, मैं सोचता हूँ कि अपनी व्यक्तिगत भावनाओंको एक ओर रखकर इस कामको स्वयं करूँ। मेरा खयाल है, अगर कोई घाटा होगा, तो डॉ॰ मेहता उसे पूरा करनेका जिम्मा ले लेंगे। मैंने इस मामले में उनसे पत्र व्यवहार किया है। इसलिए आप कोई ऐसा पुस्तक विक्रेता खोज सकते हैं जो किताब ले ले। सर्वोत्तम यह रहेगा कि कल्याणदास या छगनलालके भाई या वे दोनों इस किताबको लेकर बहुत से लोगोंके पास स्वयं जायें। कुछ भी हो, आप किताब ऐसे किसी भी पुस्तक विक्रेताको उधार न दें, जिसपर आप पूरा विश्वास नहीं कर सकते।[२]

मैंने आपको आज तार दिया है।[३] मुझे लगता है कि अगर उस ओरसे लगातार दबाव डाला गया तो सम्भव है कि बातचीतमें सफलता मिल जाये। अब लॉर्ड क्रू को प्रश्नके

  1. देखिए खण्ड ७, पृष्ठ ५।
  2. पोलकने लिखा था, "नटेसन यहाँके पुस्तक विक्रेताओंके लिए २५० प्रतियाँ ले रहे हैं। जब छगनलाल आयें तो वह बम्बईमें पूछताछ कर लेंगे। किसी भी अविश्वसनीय पुस्तक-विक्रेताको उधार नहीं दिया जायेगा।"
  3. यह उपलब्ध नहीं है।