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२७३. पत्र: लॉर्ड मॉर्लेके निजी सचिवको

[लन्दन]
सितम्बर १८, १९०९

महोदय,

मैं इसके साथ परम माननीय उपनिवेश मन्त्रीको भेजे गये पत्रकी[१] प्रतिलिपि भेज रहा हूँ और आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इसे लॉर्ड मॉर्लेके सामने पेश कर दें।

मैं लॉर्ड महोदयका ध्यान इस बात की ओर खास तौरसे आकर्षित करना चाहता हूँ कि ट्रान्सवालके अधिकारियोंने रमजानके महीनेमें रोजा रखनेके धार्मिक व्रतके सम्बन्धमें मुसलमान कैदियोंको सुविधाएँ देनेसे इनकार कर दिया है। मेरी विनीत सम्मतिमें ट्रान्सवालके अधिकारियोंने अपनी मर्जीको जबरदस्ती मनवानेका जो यह तरीका अख्तियार किया है वह निश्चय ही नया है, क्योंकि इसका अर्थ कैदियोंपर उनके धर्मके माध्यमसे हमला करना है।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

इंडिया ऑफिस रेकर्ड्स: ३६०२/०९; और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०८३) से।

२७४. पत्र : लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
सितम्बर १८, १९०९

लॉर्ड महोदय,

ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके लिए श्रीमान्ने जो-कुछ किया है और जो-कुछ कर रहे हैं, उसके लिए श्री हाजी हबीब और मैं आपको जितना धन्यवाद दें, थोड़ा है।

श्रीमान्‌के इस सुअर्जित अवकाशके समय मैं श्रीमान्‌को कष्ट नहीं देना चाहता। फिर भी मुझे लगता है कि लॉर्ड क्रू को मैंने जो पत्र[२] भेजा है, उसकी प्रतिलिपि और उनके साथ जो भेंट हुई उसका सार[३] आपको भेजनेके लिए मैं कर्तव्य-बद्ध हूँ। मैंने इसको लेखबद्ध करना ज्यादा अच्छा समझा।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. देखिए, "पत्र: लॉर्ड क के निजी सचिवको", पृष्ठ ४२१-२२।
  3. देखिए "लॉर्ड क्रू से भेंटका सार", पृष्ठ ४०८-११।