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२७६. पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको

[ लन्दन ]
सितम्बर २३, १९०९

महोदय,

श्री हाजी हबीबको और मुझे मालूम हुआ था कि ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी समस्या हल करनेके लिए जो बातचीत चल रही थी उसके सम्बन्धमें लॉर्ड क्रू जनरल स्मट्सको एक तार[१] भेजनेवाले थे। क्या मैं जान सकता हूँ कि इस तारका जनरल स्मट्सने कोई जवाब दिया है या नहीं?[२]

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स २९१/१४२।

२७७. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

[लन्दन]
सितम्बर २३, १९०९

प्रिय हेनरी,

मुझे आपका अपेक्षाकृत छोटा पत्र मिला। रमजानके महीनेमें सुविधाएँ देनेसे अधिकारियोंके इनकारके सम्बन्धमें जोहानिसबर्गसे गत सप्ताह प्राप्त तारकी नकल मैंने भेज दी थी।

अखिल भारतीय मुस्लिम लीगकी लन्दन शाखा द्वारा भारतकी केन्द्रीय लीगको भेजे गये तारकी नकल इसके साथ भेज रहा हूँ।[३] आशा है आप बम्बईसे केन्दीय लीगके साथ पत्र-व्यवहार कर रहे होंगे।

  1. लॉर्ड क्रू ने यह वादा किया था कि वे गांधीजी और हाजी हवीवके साथ अपनी बातचीतका परिणाम तारसे जनरल स्मट्सको भेज देंगे और लॉर्ड ऍम्टहिल्की मार्फत पेश किये गये गांधीजीके संशोधनको मान लेनेपर भी जोर देंगे; देखिए "लॉर्ड क्रू से भेंटका सार", पृष्ठ ४११ और परिशिष्ट २४ भी।
  2. इसके उत्तर में गांधीजीको ४ अक्तूबरको उपनिवेश कार्यालयका यह पत्र मिला था: "ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयों के प्रश्नके सम्बन्धमें वे फिलहाल आपको कोई ज्यादा जानकारी दे सकेंगे, इसकी सम्भावना नहीं है। पिछले महीनेकी १६ तारीखको लॉर्ड महोदयसे अपनी भेंटके बाद आपने जो रुख अख्तियार किया है, उसकी जानकारी उपनिवेश सरकारको भेज दी गई थी। अब उस जानकारीको ध्यान में रखते हुए पहले उपनिवेश सरकारको यह तय करना है कि वह श्री स्मटसके सुझाये हुए आधारपर कानून बनानेके लिए तैयार है या नहीं।"
  3. इसमें कहा गया था: "भारतीय शिष्टमण्डलको ट्रान्सवालसे तार मिला। मुसलमान सत्याग्रही कैदियों को रमजानमें सुविधाएँ नहीं दो गई। तुरन्त कार्रवाई करें।"