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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

ही अनाक्रामक प्रतिरोधी हैं और मुझसे पूर्णतः सहमत हैं कि उन्हें किसी दूसरे फीनिक्सवासी छात्रको पढ़ानेका खर्च देना चाहिए।

मैंने छगनलालको पढ़ानेका निश्चय किया है, और इस सप्ताह जानेवाली डाकसे उसको पत्र[१] भी लिख दिया है। मैंने उसे गत सप्ताह एक पत्रमें[२] अपने सुझाव लिखे थे, लेकिन वह पत्र फीनिक्सको भेजा गया था। मुझे इसका पता पीछे चला कि वह तो १५ तारीखको भारतको रवाना होनेवाला था। इसलिए वह शायद यह पत्र मिलने तक आपके पास पहुँच जायेगा। जिन बातोंको सोचकर मैंने नीचेके निष्कर्ष निकाले हैं उनकी चर्चा यहाँ नहीं करूँगा। वह वहाँ आपके साथ कुछ समय रह ले; उसके बाद लन्दन आ जाये। कहना चाहिए कि वह ज्यादासे-ज्यादा मार्चके अन्ततक यहाँ पहुँच जाये। वह किसी एक बैरिस्टरीके स्कूल (इन्स ऑफ़ कोर्ट) में दाखिल हो जाये। वह वस्तुतः बैरिस्टर बने या न बने, यह प्रश्न पीछे तय किया जायेगा (सम्भावना यह है कि उस समय तक हम ही उसे बैरिस्टर बनाना न चाहेंगे। वह कानून पढ़नेके साथ-साथ यहाँकी किसी संस्थामें अंग्रेजीके वर्गमें दाखिल हो जाये। जहाजमें बैठनेसे पहले वह गरीबीसे रहने की निश्चित और विधिवत् शपथ ले। वह यह प्रतिज्ञा भी करे कि वह यहाँ जो-कुछ पढ़ेगा उसका उपयोग आजीविका उपार्जित करनेके लिए न करेगा। आजीविका उसे सदा फीनिक्ससे मिलेगी और वह अपना जीवन फीनिक्सके आदर्शोंकी प्राप्तिके लिए अर्पित कर देगा। वह किसी निरामिष-भोजी परिवारमें रहे (लन्दनमें और आसपास जो भी निरामिष-भोजी परिवार हैं मैं उन सबकी जानकारी प्राप्त कर रहा हूँ)। यदि आवश्यक हो तो वह किसी उपनगरमें घर लेकर रहे और वहाँ अपना खाना खुद बनाये और अपना हर काम खुद करे। सालके अन्तमें उसे अपने ऊपर भरोसा हो जाये तो हम फीनिक्ससे लन्दनमें शिक्षण लेनेके लिए एक बारमें एक या अधिक छात्रोंको भेजें। ये छात्र उसके साथ उस घरमें रह सकेंगे। चूँकि वह मित्रों और परिचितोंका एक अच्छा समुदाय बना लेगा, इसलिए उसके साथ रहनेवाले छात्रोंको अंग्रेज परिवारोंमें रहे बिना ही अंग्रेजोंके सहवासके सब लाभ मिल सकेंगे। फिर, छगनलालके साथ रहनेकी अपेक्षा अंग्रेज परिवारोंमें रहनेका खर्च भी अवश्य ही ज्यादा आयेगा। साथ अगर वांछनीय समझा जाये तो वे केवल कुछ समय किसी परिवारमें भी रह सकते हैं। छगनलाल वहाँ रहकर प्रत्येक भारतीय छात्रसे सम्पर्क स्थापित कर ले। वस्तुतः वह उनका ध्यान बलात् खींचे और धीरे-धीरे उनका अनुग्रह प्राप्त करनेके बाद अपने जीवन द्वारा और बातचीत द्वारा फीनिक्सके आदर्शोंको उनके सम्मुख रखे। उसके यहाँ रहनेसे हम सप्ताह-प्रति-सप्ताह संघर्षकी प्रगतिकी सही जानकारी दे सकेंगे और वह कुछ हद तक रिचके जानेसे होनेवाली कमीकी पूर्ति करेगा। मुझे यहाँ ऐसा कोई दिखाई नहीं देता जो रिचका स्थान ले सके। किन्तु कुछ लोग, जो एड़ लगाये बिना कुछ नहीं कर सकते, छगनलाल-जैसे व्यक्तिको खुशीसे सहायता देंगे। यदि हम छगनलालको बैरिस्टर बनानेके लिए बँध न जायें तो उसको लन्दनमें पूरे तीन वर्ष रुकनेकी भी जरूरत नहीं है। यदि स्थितिका तकाजा हो तो वह कुछ दिनोंके लिए लन्दन छोड़ भी सकता है।

डॉ॰ मेहतासे कोई नियत छात्रवृत्ति नहीं लेनी है; वे छगनलालके रहनेका सारा खर्च भर देंगे। छगनलाल अपनेतई स्वभावतः अपने-आपको उस पैसेका न्यासी (ट्रस्टी) समझेगा

  1. ये पत्र उपलब्ध नहीं हैं।
  2. ये पत्र उपलब्ध नहीं हैं।