पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/४८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४५०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कॉरपोरेशनमें तीस बर्ष काम किया है। उन्होंने जिन दिनों यह काम किया उन दिनों वैसा काम करनेवाले लोग कम ही थे। अगर वे आज हमारी तरह विचार न करें तो क्या हम उनका तिरस्कार करेंगे? उन्होंने जो काम किया, उसीके फलस्वरूप आज हम ज्यादा काम करनेके योग्य बन सके हैं। मैं इस सवालपर बहस नहीं करता कि वे इस समय भूल कर रहें हैं या नहीं। मैं तो इतना ही कहता हूँ कि वे भूल कर रहे हों तो भी उनकी निन्दा करना हमें शोभा नहीं देता। इसमें हमारा ओछापन है, और इससे प्रकट होता है। कि हमें स्वतन्त्रताका पहला पाठ अभी पढ़ना है। स्वतन्त्रताका अर्थ स्वच्छन्दता नहीं है। मुझे स्वयं अपनी चीजोंके उपभोगकी स्वतन्त्रता हो सकती है। लेकिन ऐसा मालूम होता है कि हम तो दूसरोंकी चीजें छीन लेनेका विचार कर रहे हैं। मुझे ये विचार प्रकट करने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि मैं जानता हूँ, ऊपर बताये हुए पत्रके अंक 'इंडियन ओपिनियन' के भी कितने ही पाठकोंके हाथोंमें आते होंगे। वे गर्मदली हों या नर्मदली, इससे यहाँ मेरा कोई सरोकार नहीं। दोनोंका कर्तव्य है कि जो लोग भारतके स्तम्भ कहे गये हैं उनकी बनाई हुई इमारतको तोड़ें नहीं; उसके ऊपर वे चिनाई भले ही करें। ऐसा न करेंगे तो वे जिस डाल पर बैठे हैं उसीको काटनेके बराबर होगा। नम्रता, गम्भीरता और विचारपूर्ण व्यवहार—ये स्वराज्यके स्तम्भ हैं। जो जी चाहे बोलना-चालना तो प्रलाप कहा जायेगा।

डॉक्टर मेहता

डॉ॰ मेहताने हाल ही में सत्याग्रह-कोषमें पैसे दिये हैं। वे अब रंगून चले गये हैं।

आजम हाफिजी

देखता हूँ, 'इंडियन ओपिनियन' में यह खबर छपी है कि श्री आजम हाफिजी परीक्षामें पास हो गये हैं। यह गलत है। श्री आजम अभीतक पैसेकी तंगीके कारण किसी स्कूलमें दाखिल ही नहीं हो सके हैं; तब वे पास कहाँसे होंगे?

सैयद अली इमाम

अखिल भारतीय मुस्लिम लीगकी बिहार शाखाके अध्यक्ष श्री सैयद अली इमामके सम्मानार्थ पहली अक्तूबरको भोज दिया गया था। इसमें लगभग सौ लोग आये होंगे। डॉक्टर अब्दुल मजीद प्रमुख थे। आमन्त्रण समितिमें हिन्दू और मुसलमान, दोनों ही थे। श्री वर्मा और श्री जाफर मन्त्री थे। उपस्थित सज्जनोंमें सर हेनरी कॉटन, डॉक्टर रदर-फोर्ड, श्री अपटन, सर मंचरजी भावनगरी, नवाब साहब सैयद हुसेन बिलग्रामी, मेजर सैयद हुसेन, श्री रिच, श्री [जे॰ एच॰] पोलक, श्री विपिनचन्द्र पाल, श्री खापरडे, श्री परीख, श्री छोटालाल पारेख आदि थे।

श्री अली इमामने भाषणमें कहा कि भारत इंग्लैंडके साथ रह सकता है, उसके अधीन नहीं रह सकता। भारतीयोंको अंग्रेजोंके बराबर अधिकार दिये जाने चाहिए। लॉर्ड मॉर्लेने जो-कुछ दिया है, उसका अच्छा उपयोग किया जाये और उसके आगे और माँगा जाये। हिन्दुओं, मुसलमानों और पारसियों, सबको एक राष्ट्र बनकर रहना है। तुर्कीमें मुसलमान, यहूदी और ईसाई सब एक होकर रहते हैं। इसीसे उनको सम्मान मिलता है। भारतमें जहाँ हिन्दू ज्यादा हों और मुसलमान कम हों वहाँ उचित यह है कि हिन्दू मुसलमानोंको