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लन्दन

ज्यादा हक पानेमें मदद दें। जहाँ मुसलमान ज्यादा हों वहाँ मुसलमानोंको उचित है कि वे हिन्दुओंके ज्यादा हक पानेमें मददगार हों। अगर ऐसा किया जाये तो हिन्दू-मुस्लिम प्रश्न रहे ही नहीं। भारतमें हमें बहुत सुधार करनेकी जरूरत है। हमें शिक्षा-प्रसार करना चाहिए और स्त्रियोंके अधिकारोंकी रक्षा करनी चाहिए। जो काम हमें खुद करना है, उसमें पीछे न रहना चाहिए। सभामें उनकी स्वास्थ्यकी शुभ-कामनाका स्वागत तालियोंकी गड़गड़ाहटसे किया गया।

उनके बाद सर हेनरी कॉटनने छोटा-सा भाषण दिया। उन्होंने कहा कि भारतीयोंके अधिकार भारतीयोंके हाथमें हैं।

फिर सर मंचरजी भावनगरी बोलनेको खड़े हुए। उन्होंने ट्रान्सवाल और नेटालके शिष्टमण्डलों [की सफलता] के लिए शुभ-कामना करनेकी अपील की। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि दक्षिण आफ्रिकाका प्रश्न बहुत गम्भीर प्रश्न है। उसके सम्बन्धमें यहाँ दो शिष्टमण्डल आये हुए हैं। उनको मदद देनेकी जरूरत है। हमारे भाई दक्षिण आफ्रिकामें बहुत कष्ट पा रहे हैं। उनकी इस अपीलका भी सभामें बड़े उत्साहसे स्वागत किया गया।

इसके बाद श्री गांधीने उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रका निर्माण दक्षिण आफ्रिकामें हो रहा है। जहाँ लोग स्वतन्त्रताके खातिर कष्ट-सहन करते हैं वही राष्ट्रका निर्माण होना सम्भव है। इसके अलावा, दक्षिण आफ्रिकामें हिन्दू-मुस्लिम प्रश्न उठता ही नहीं है। इस प्रश्नका निर्णय वहाँ हुआ-जैसा ही है। श्री अली इमाम कहते हैं कि अल्पसंख्यकोंको अधिक अधिकार दिये जाने चाहिए, यह बात बिल्कुल उचित है। ऐसा होने से ही हिन्दू और मुसलमान एक हो सकते हैं।

[उन्होंने कहा] ट्रान्सवालके भारतीय अपने स्वार्थकी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं; बल्कि भारतकी प्रतिष्ठाके लिए लड़ रहे हैं। पारसी रुस्तमजी इसीके लिए जेल भुगत रहे हैं। कुछ सिख भी जेल गये हैं। जबतक श्री अली इमाम-जैसे लोगोंको ट्रान्सवालमें साधिकार प्रवेशकी स्वतन्त्रता नहीं मिल जाती तबतक भारतीय जेल जाते ही रहेंगे। वे यह अधिकार लेकर रहेंगे।

नेटालमें सरकार भारतीय व्यापारियोंको कुचल देना चाहती है। वह गरीब भारतीयों तकसे तीन पौंड वार्षिक कर लेती है और उनके बच्चोंको पढ़ने नहीं देती। ऐसे अन्यायका विरोध प्रत्येक भारतीयको करना चाहिए। नवाब साहब इंडिया कौंसिलके सदस्य हैं। इन भारतीयोंके लिए न्याय माँगना उनका कर्तव्य है और यदि न्याय न मिले तो उनका सदस्यतासे त्यागपत्र दे देना उचित होगा।

भारतीय युवकोंको यह विचार करना चाहिए कि यह समस्या क्या है। अगर ऐसा हो तो इसका हल तुरन्त निकल आये।

मेजर सैयद हुसेनने भाषण देते हुए कहा कि जैसे हिन्दू और मुसलमान इंग्लैंडके होटलमें एक मेज पर बैठकर खाना खाते हैं वैसा भारतमें भी किया जाना चाहिए।

श्री विपिनचन्द्र पालने भाषण करते हुए कहा कि हिन्दू और मुसलमान एक हो सकते हैं और उनको एक होना चाहिए। श्री अली इमामको हिन्दुओं और मुसलमानों, सबने सम्मान दिया, यह बहुत ठीक हुआ है। हिन्दू हिन्दू हैं और मुसलमान मुसलमान हैं; यह तो है ही, लेकिन उनको भारतीय होनेमें अधिक गर्व मानना चाहिए।