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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

[संलग्न-पत्र]

पत्रका मसविदा

[लन्दन]
अक्तूबर ६, १९०९

सर फ्रांसिस जे॰ जी॰ हॉपवुड


कलोनियल ऑफिस, एस॰ डब्ल्यू॰


महोदय,

आपके हस्ताक्षरोंसे युक्त ४ अक्तूबरके पत्र, संख्या ३१६४९, के सम्बन्धमें मैं आपको अनौपचारिक रूपसे लिखनेकी धृष्टता कर रहा हूँ। सो इसलिए कि आपका समय बचा सकूँ, और हो सके तो पत्रका सही अर्थ भी जान सकूँ। चूँकि आप ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके प्रश्नके सम्बन्धमें हुई बातचीतसे परिचित हैं, इसलिए मेरे साथी श्री हाजी हबीब और मैं आपसे अनौपचारिक भेंटकी प्रार्थना करते हैं।

हमारे सामने कठिनाई यह है। जिस पत्रका उल्लेख मैंने किया है उसमें कहा गया है:

उपनिवेशकी सरकारको पहले यह तय करना चाहिए...कि वह श्री स्मट्सके सुझाये हुए आधारपर कानून बनाने के लिए तैयार है या नहीं।

चूँकि अर्ल ऑफ़ क्रू से भेंटके समय मेरे रुखका उल्लेख किया गया है, इसलिए मैं नहीं जानता कि श्री स्मट्स जो कानून पेश करना चाहते हैं वह भेंटमें दिये गये मेरे सुझावके आधारपर होगा या दक्षिण आफ्रिका जानेसे पहले श्री स्मट्स द्वारा सुझाये गये आधारपर। आप जानते ही हैं कि मेरे सुझाये गये भारतीय प्रस्तावमें और श्री स्मट्स जो-कुछ देनेको तैयार थे उसमें बुनियादी फर्क है। यह तो माना ही जायेगा कि लॉर्ड महोदयके तारके बाद श्री स्मट्सने जो रुख अख्तियार किया है उसे ठीक-ठीक जान लेना मेरे और साथीके लिए अधिकसे-अधिक महत्त्वकी बात है; क्योंकि स्पष्ट है लॉर्ड महोदयने अपना तार उक्त भेंटके बाद भेजा था।

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५११४ और ५११५) से।