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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१२. किन्तु बात यहीं खत्म नहीं हुई । इस प्रार्थनापत्रके दूसरे हस्ताक्षरकर्ताको, जिसन सम्बन्धित पत्रपर भी हस्ताक्षर किये थे, प्रिटोरिया बुलाया गया और माननीय उपनिवेश सचिवसे उनकी बातचीत हुई । उस बातचीत में उनसे यह कहा गया था कि यदि एशियाई अपना इकरार ईमानदारीसे पूरा कर देंगे तो अधिनियम रद करा दिया जायेगा । यह बात ३० जनवरीकी है । उपनिवेश-सचिवके साथ अपनी इस बातचीतके बाद एशियाई पंजीयक ( रजिस्ट्रार ऑफ एशियाटिक्स) से चर्चा करनेपर उक्त दूसरे हस्ताक्षरकर्ताके मनमें एशियाई कानूनके रद किये जानेके बारेमें सन्देह उत्पन्न हुआ । इसलिए उन्होंने गत १ फरवरीको अपना सन्देह व्यक्त करते हुए उपनिवेश-सचिवको एक पत्र लिखा ।

फरवरी ३ को उन्हें तारसे सन्देश मिला कि वे उपनिवेश-सचिवसे मिलें । वे उनसे मिले भी, और जैसा कि वे सर्वोच्च न्यायालयके सामने अपने हलफिया बयानमें कह चुके हैं, उपनिवेश-सचिवने एशियाई पंजीयककी उपस्थितिमें कानूनको रद करनेका वचन दिया और इस प्रार्थना-पत्रके पहले हस्ताक्षरकर्ता की जानकारीमें उक्त भेंटके बाद कई सभाओंमें ब्रिटिश भारतीयोंके विशाल जनसमूहको इस वचनसे अवगत कराया गया ।

१३. पिछली ५ फरवरोको रिचमंडमें की गई एक सभामें उपनिवेश- सचिवने यह कहा : "मैंने उनसे कह दिया है कि कानून तबतक रद नहीं किया जा सकता, जबतक देशमें एक भी एशियाई ऐसा है जिसने पंजीयन न कराया हो । " उन्होंने यह भी कहा कि “जबतक देशका प्रत्येक भारतीय पंजीयन नहीं करा लेता, कानून रद न किया जायेगा ।" उक्त उद्धरण गत ६ फरवरीके 'स्टार' से लिया गया है । यही बात उसी तारीखके 'ट्रान्सवाल लीडर' में भी छपी थी ।

१४. गत १० फरवरीको पंजीयन कार्यालय (रजिस्ट्रेशन ऑफिस) जाते समय दूसरे हस्ताक्षरकर्तापर बहुत बुरी तरह हमला किया गया, क्योंकि वे अँगुलियोंके निशान देनेके लिए जा रहे थे । कुछ समयके लिए पंजीयन लगभग बन्द हो गया । एशियाई डर गये । उन्हें सरकारके इरादोंके बारेमें सन्देह था । और जो प्रार्थनापत्र दिये गये थे उनमें से कुछकी रसीदें देखनेपर उनका सन्देह पुष्ट हो गया । ये पुराने फार्मोंपर दी गई थीं, जिनका सम्बन्ध १९०७ के एशियाई कानून संशोधन अधिनियम २ से था । ऐसो शंकाओंको निवृत्त करने के उद्देश्यसे पंजीयक (रजिस्ट्रार ) ने अनेक प्रमुख एशियाइयोंसे, और ब्रिटिश भारतीय संघ के सहायक अवैतनिक मन्त्रीसे भी जो ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालयके वकील भी हैं, यह कहा कि स्वेच्छया पंजीयन ( वॉलंटरी रजिस्ट्रेशन ) पूरा होनेपर कानून रद कर दिया जायेगा । अधिक लोग स्वेच्छया पंजीयन करायें, इसके लिए एशियाई पंजीयक 'गज़ट' में यह सूचना प्रकाशित करने के लिए भी तैयार था कि यदि एशियाइयोंने स्वेच्छया पंजीयन करा लिया, तो कानून रद कर दिया जायेगा । पंजीयकने यह सूचना इस प्रार्थनापत्र के दूसरे हस्ताक्षरकर्ताके सामने उसी समय पेश को, जब वे बिस्तरमें ही पड़े थे और कुछ संशोधनोंके बाद दोनोंने आपसमें यह तय किया कि सूचना 'गज़ट' में प्रकाशित की जानी चाहिए । इसी

१. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ४३-४६ ।

२. वही, पृष्ठ ४९-५१ ।

३. एशियाटिक लो अमेंडमेंट ऐक्ट २ ।

४. हेनरी एस० एल० पोलक ।

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