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पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

कर्ताओंकी एक सेना चाहिए। अगर आप ऐसे कार्यकर्ता प्राप्त कर सकें तो यह एक योग्य कार्य है। कार्यकर्ता वे लोग हों तो अच्छा रहे, जिन्हें दक्षिण आफ्रिकाका अनुभव है। यह जरूरी नहीं कि उनकी संख्या बहुत अधिक हो। अगर आपको हर केन्द्रमें पाँच भी मिल जायें तो पर्याप्त है। सर मंचरजी भी यह सोचते हैं कि नेटालके लिए गिरमिटिया मजदूरोंकी भर्ती गैर-सरकारी तौरपर भी बन्द करनेकी कोशिश होनी चाहिए। उनका खयाल है कि हमारे पास कुछ ऐसे वक्ता होने चाहिए, जो ऐसे हर स्थानका दौरा करें, जहाँ भर्ती-एजेंट भेजे जाते हैं, और भावी प्रवासियोंसे नेटालके लिए गिरमिटमें न बँधनेको कहें। इस कामके बारेमें आप केवल कलकत्ता और मद्रासमें बातचीत कर सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इन दोनों नगरोंमें प्रवासी-केन्द्रोंको देखने अवश्य जायेंगे, बल्कि अधिकारियोंसे भी मिलेंगे, तथा इस प्रणालीका अध्ययन करेंगे, और सम्भव हुआ तो, भर्ती-एजेंटोंसे भी सम्पर्क स्थापित करेंगे। इस तरह आप देख सकते हैं कि वहाँ आपका काम अधिकाधिक महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है, और हमारे प्रयत्नोंका केन्द्रबिन्दु भारतकी ओर खिसकता जा रहा है। जबतक ट्रान्सवालमें अनाक्रामक प्रतिरोधकी आग प्रज्वलित नहीं रखी जाती, और भारतमें उसकी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं होती तबतक यहाँ कोई प्रभावकारी काम न हो सकता है, और न होनेका है। अगर छगनलाल यहाँ आनेको तैयार हो तो उसके लिए अच्छा यही होगा कि आपके साथ कुछ दिन घूम-फिरकर मार्चसे पहले ही आ जाये और यहाँकी ठंडका मजा ले। बात दरअसल यह है कि भारतीय इंग्लैंडमें अपनी पहली सदियोंकी सख्ती महसूस नहीं करते हैं, और ऐसा ही छगनलालके साथ भी हो सकता है। रिचके यहाँसे चले जानेके बाद—और मुझे लगता है, वे चले जायेंगे—छगनलाल कुछ उपयोगी काम कर सकेगा। कभी-कभी ऐसे सवाल भी उठ सकते हैं, जिनके सम्बन्धमें लॉर्ड ऍम्टहिलको कुछ जानकारीकी जरूरत हो। इसके लिए उन्हें कोई आदमी तो चाहिए ही।

आप श्री मेहताको भी गुजराती और अंग्रेजी दोनों भाषाओंके अखबारोंकी कतरनें भेज दें तो कृपा हो।

मैं आपको बता चुका हूँ कि नेटाल शिष्टमण्डलके श्री बदात कुछ दिन पहले ही रवाना हो गये हैं। और यह देखते हुए कि यहाँ सचमुच करनेको कुछ है नहीं, श्री भायात भी अगले शनिवारको, यानी जिस दिन यह पत्र भेजा जायेगा उसी दिन, प्रस्थान कर रहे हैं। मैं समझता हूँ, श्री आंगलिया, जबतक हम लोग यहाँ हैं, ठहरेंगे।

आज सुबह मुझे लॉर्ड ऍम्टहिलका एक पत्र मिला है। उसकी एक नकल भेज रहा हूँ। इसलिए पहले पत्रका मसविदा[१] अर्ल ऑफ़ को भेजा जायेगा।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५११३ और ५१५२'अ') से।

 
  1. देखिये लॉर्ड ऍम्टहिल्को लिखे पत्र (पृष्ठ ४५९) के साथ संलग्न मसविदा